धर्म

स्वामी राजदास : सच्चे गुरु की पहचान

यदि आज आपको तीन माह बाद का एक निमंत्रण मिलता है, जिसमें लिखा है कि एक हॉल में सौ फुट लंबे और सौ फुट चौड़े टेबल लगे होंगे। हरेक टेबल पर असली और नकली हीरे होंगे। निमंत्रण आने के बाद आप उस हॉल में जा सकेंगे और आपको पूरी छूट रहेगी कि आप जितना चाहें उतना हीरा उठाकर अपने साथ ले जा सकते हैं।
एक शर्त यह भी होगी कि आपके पैंट-शर्ट में कोई जेब नहीं होगी और न आप अपने साथ थैला ला सकते हैं। जितना हीरा आप हाथों में रख सकते हैं उतना ही ले जा सकते हैं। याद रहे नकली और असली दोनों प्रकार के हीरे हैं। आप क्या करेंगे?

अगर मुझे मौका मिले तो मैं दो चीजें करूंगा। एक, उस दिन का इंतजार करूंगा कि कब यह न्योता आए। दूसरा, मैं जाऊंगा जौहरी के पास, लाइब्रेरी में, वेबसाइट्स और अन्य स्रोतों से हीरों के बारे में जानकारी जुटाऊंगा ताकि असली हीरे उठाकर ला सकूं। देखिए, जब बच्ची छोटी होती है और मां उसे खाना बनाना सिखाना चाहती है तो उसे बाजार भी ले जाएगी यह समझाने के लिए कि भिंडी, आलू, टमाटर आदि की अच्छी सब्जियां कैसी होती हैं। अच्छी स्वादिष्ट सब्जी बने, इसके लिए जरूरी है कि बाजार से अच्छी सब्जियां खरीदी जाएं। अगर इनकी परख हो जाए तो समस्या ही क्या? अगर परख नहीं है तो समस्या ही समस्या।

हमारा जीवन भी इसी प्रकार है। जिंदगी के ये दिन तीन माह की तरह हैं। तीन माह बाद आपको आमंत्रण आता है। यह संसार है, हॉल की तरह। जिस पृथ्वी पर आप हैं, वह है हॉल और यहां हीरे रखे हुए हैं, जिसमें असली और नकली दोनों हैं। अगर आपको परख है तो उठाएं। …और अगर आपको असली हीरे की परख नहीं है तो आप क्या करेंगे? इसीलिए ऐसे गुरु की जरूरत होती है, जिसको परख मालूम है। वे अनुभव से असली हीरे की पहचान बता देते हैं। क्या आप संक्षेप में गुरु की जरूरत समझे? वरना पता नहीं कितने ही लोगों ने आपको क्या-क्या नहीं बताया होगा। आपको हीरे की परख नहीं है। आमंत्रण मिल चुका है और आप हॉल में हैं। बड़े ही अफसोस की बात है कि आपको हीरे की परख नहीं। असली हीरा है- आनंद, परमानंद।
इस जीवन में आप उस आनंद के पीछे भाग सकते हैं। सरल है, सुगम है, आनंदमय है और ज्ञान आपको उस स्नेह तक पहुंचा सकता है जो आपके अंदर है, जिस आनंद का अनुभव करने के लिए साधु-महात्मा को सालों साल प्रयत्न करना पड़ता था। लेकिन आपको इस दुनिया में रहते हुए, घर-परिवार के साथ अपने सभी कर्तव्यों को पूरा करते हुए उस आनंद का अनुभव हो सकता है। अतः ऐसे गुरु की जरूरत को समझें जो असली-नकली की पहचान कराकर जीवन सफल कर दे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk