हिसार

किन्नू में सूत्रकृमि की समस्या और उसका समाधान के प्रति किया जागरूक

कृषि विज्ञान केंद्र सदलपुर द्वारा गांव खारा बरवाला किशनगढ़ में खेत दिवस कार्यक्रम आयोजित

हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र सदलपुर की ओर से खारा बरवाला व किशनगढ़ गांव में किन्नू खेत दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय नाशी जीव प्रबंधन अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के तत्वावधान में किया गया।
कार्यक्रम में केंद्र के संयोजक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय नाशी जीव प्रबंधन अनुसंधान, केंद्र नई दिल्ली द्वारा गांव खारा बरवाला किशनगढ़ को अंगीकृत किया गया है। इस गांव का चयन किन्नू में समन्वित कीट प्रबंधन की रणनीतियों का विकास व वैधिकरण परियोजना के तहत अंगीकृत किया गया है। एनसीआईपीएम से सह-प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर डॉ. पीएम मीना ने बताया कि किन्नू में मुख्यत: सिट्रस सिल्ला, चूरडा, इल्ली, चेपा, सुरंगी कीट, दीमक आदि कीट लगते हैं, जो फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि इनकी रोकथाम कीटनाशकों के सुरक्षात्मक प्रयोग के द्वारा की जा सकती है। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सत्येंद्र ने किसानों को सूत्रकर्मी की समस्या के साथ-साथ उनके समाधान के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। साथ ही उन्होंने किसानों को मृदा जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए ट्राइकोडरमा का प्रयोग और रखरखाव आदि के बारे में बताया। उन्होंने किन्नू खेत के भ्रमण के उपरांत किसानों को फसल मेें मौजूद बीमारियां जैसे डाई बैक, सिट्रस कैंकर, ग्रीनिंग आदि की पहचान एवं उनकी रोकथाम के उपाय बताए। डॉ. रघुवेंद्र ने किसानों को मित्र कीट जैसे लेडीबर्ड बीटल, क्राइसोपरला, मकड़ी, प्रेयिंग मेंटिस आदि की पहचान व उनका संरक्षण करके जैविक नियंत्रण को बढ़ावा देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इन मित्र कीटों की सुरक्षा से न केवल पर्यावरण संरक्षण होता है बल्कि फसलों के उत्पादन पर भी असर पड़ता है। कृषि विज्ञान केंद्र सदलपुर के संयोजक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि यह परियोजना 3 से 4 साल तक चलेगी। इस परियोजना के तहत प्रथम वर्ष सिर्फ 10 एकड़ के 2 बागों को ही गोद लिया गया है। इसके साथ-साथ धीरे-धीरे किसानों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कार्यक्रम में भाग लेने पर सभी का आभार व्यक्त किया।

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