एक दिन श्रीकृष्ण ने उद्धव से कहा कि मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं, जिससे तुम समझ जाओगे कि अच्छे काम सही समय पर क्यों करना चाहिए।
श्रीकृष्ण ने आगे कहा कि एक कंजूस व्यक्ति ने खेती और व्यापार करके खूब धन कमाया। वह कामवासना में फंसा हुआ था, लालची, गुस्से वाला था। मित्रों और रिश्तेदारों से अच्छा व्यवहार नहीं करता था।
वह अपने ऊपर भी खर्च नहीं करता था, लेकिन थोड़े समय के बाद उसका कुछ धन तो घर-परिवार वालों ने छीन लिया। कुछ चोरी हो गया। कुछ अपने आप नष्ट हो गया। उसे व्यापार में भी नुकसान हो गया। थोड़ा धन राजा ने छीन लिया। वह गरीब हो गया था।
वह व्यक्ति सोचने लगा कि मैंने कभी किसी पर धन खर्च नहीं किया, कोई शुभ काम नहीं किया, किसी की मदद नहीं की, ये मेरे काम भी नहीं आया। एक दिन किसी ने उससे पूछा कि अब तुम्हें कैसा लगता है?
उसने जवाब दिया कि जब मेरे पास धन था तो मैंने उसका सही इस्तेमाल नहीं किया, समय रहते कोई शुभ काम नहीं किया, आज पछता रहा हूं।
श्रीकृष्ण ने उद्धव को समझाया कि समय अमूल्य है और हमें इसका सही इस्तेमाल करना चाहिए। शुभ काम करने में देर नहीं करनी चाहिए।