धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—415

यह एक ऐसे बुद्धिमान व्यक्ति की कहानी है जो अपने गाँव के बाहर बैठा हुआ था। एक यात्री उधर से गुजरा और उसने उस व्यक्ति से पूछा, इस गाँव में किस तरह के लोग रहते हैं क्योंकि मैं अपना गाँव छोड़ कर किसी और गाँव में बसने की सोच रहा हूँ। तब उस बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछा, तुम जिस गाँव को छोड़ना चाहते हो, उस गाँव में कैसे लोग रहते हैं?

उस आदमी ने कहा, वे स्वार्थी, निर्दयी और रूखे हैं। बुद्धिमान व्यक्ति ने जवाब दिया इस गाँव में भी ऐसे ही लोग रहते हैं। कुछ समय बाद एक दूसरा यात्री वहाँ आया और उसने उस बुद्धिमान व्यक्ति से व्ही सवाल पूछा। बुद्धिमान व्यक्ति ने उससे भी पूछा, तुम जिस गाँव को छोड़ना चाहते हो, उस गाँव में कैसे लोग रहते हैं?

उस यात्री ने जवाब दिया, वहाँ के लोग विनम्र, दयालु और एक-दूसरे की मदद करने वाले हैं। तब बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा, इस गाँव में भी तुम्हें ऐसे ही लोग मिलेंगे। आम तौर पर हम दुनिया को उस तरह नहीं देखते जैसी वह है बल्कि जैसे हम खुद है वैसी देखते है।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, ज्यादातर मामलों में दूसरे लोगों का व्यवहार हमारे ही व्यवहार का आईना होता है। अगर हमारी नीयत अच्छी होती है तो हम दूसरों की नीयत भी अच्छी मान लेते हैं। हमारा इरादा बुरा होता है तो हम दूसरों के इरादों को भी बुरा मान लेते हैं। अक्सर चीजे हमें वैसी नहीं दिखती जैसी वे हैं, बल्कि वैसी दिखती हैं जैसे हम हैं।

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Jeewan Aadhar Editor Desk