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‘बिश्नोई समाज संस्कार परीक्षा’ को समाज में मिल रहा अभूतपूर्व समर्थन

दिसम्बर 2021 में शुरू की गई परीक्षा के बाद आयोजकों के पास लगा जांभाणी साहित्य का अंबार

दो दोस्तों पृथ्वी ​सिंह गिला व बनवारी लाल बिश्नोई ने किया था परीक्षा का आगाज

बिना रूके, बिना थके जारी है अभियान, वाहन नहीं मिला तो आटो लेकर पहुंच गए पृथ्वी सिंह गिला

हिसार,
बिश्नोई समाज के बच्चों में जागरूकता लाने, उन्हें श्री गुरू जम्भेश्वर ​भगवान के धर्म—नियमों से अवगत करवाकर धर्म का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने के लिए शुरू की गई ‘बिश्नोई समाज संस्कार परीक्षा’ के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। शुरूआती दिनों में जहां आयोजकों को बिश्नोई साहित्य अपने पास से पुरस्कार स्वरूप देना पड़ता था, वहीं आज समाज के प्रबुद्ध नागरिकों के सहयोग व उनके दान से आयोजकों के पास बिश्नोई साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
बिश्नोई समाज संस्कार परीक्षा के आयोजक रिटायर्ड जेडएमईओ पृथ्वी सिंह गिला एवं अभियोजन विभाग हरियाणा के पूर्व निदेशक बनवारी लाल बिश्नोई ने समाज के नागरिकों द्वारा दिए जाए साहित्य के दान व सहयोग पर उनका आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मार्ग है, जिसकी सफलता सबके सहयोग पर ही निर्भर है। यह सहयोग साहित्य का दान, परीक्षा करवाने में सहयोग से लेकर उत्साहवर्धन तक किसी तरह का हो सकता है। आयोजक जब परीक्षा करवाते हैं तो दानदाताओं का दिया हुआ जाम्भाणी साहित्य ही परीक्षार्थियों में पुरस्कार स्वरूप वितरित किया जाता है। उन्होंने बताया कि दानदाताओं के सहयोग से अब तक 2450 सबदवाणी, 1300 जम्भसागर, 300 सुक्ति सागर और 800 जाम्भाणी बालपोथी मिलाकर कुल 4850 पुस्तकें आई है। कथा के आयोजक स्मृति चिन्ह के तौर पर कथा में जम्भसागर व सुक्ति सागर देने लगे हैं। यह सब जांभाणी साहित्य हर बिश्नोई घर तक पहुंचाने का एक अच्छा माध्यम बनता जा रहा है। अब तक दानदाता 15 हजार प्रश्न पत्र भी दे चुके हैं।

पृथ्वी सिंह गिला ने बताया कि जांभाणी साहित्य वितरित करने की शुरुआत 12 दिसंबर 2021 को हिसार के श्री गुरू जम्भेश्वर मंदिर से हुई। पृथ्वी सिंह गिला ने बच्चों की सस्कार परीक्षा ली जिसमें 100 सबदवाणी व 50 जम्भसागर बांटने की शुरुआत की। बाद में यह सिलसिला चलता गया। इसी मौके पर रिटायर्ड एडीसी श्री भाल सिंह बिश्नोई ने सबसे पहले जांभाणी साहित्य उपहार में देने की शुरूआत की। इसके बाद श्री पालाराम करीर व देवेंद्र लांबा ने जांभाणी साहित्य संस्कार परीक्षाओं में देने के लिए दिया। पृथ्वी सिंह गिला के प्रयास से नाढ़ोडी और बड़ोपल में कथा के दौरान स्मृति चिन्ह के तौर पर जम्भसागर दी गई। जांभाणी साहित्य दान में श्री कैलाश ज्याणी आदमपुर, दलीप सिंह सहारण रिटायर जेडएमईओ, श्रीमती इंदिरा बिश्नोई कुरुक्षेत्र, सतपाल भांभू एडवोकेट आदमपुर, अशोक बिश्नोई एडवोकेट हिसार ने भी इसमें सहयोग दिया। इसी तरह ढाणी माजरा निवासी स्वर्गीय श्री बनवारी लाल मांझू, सारंगपुर निवासी उग्रसेन मांझू सारंगपुर, रामगोपाल भादू हरीपुरा अबोहर पंजाब, पोकरमल बैनीवाल परिवार मंडी आदमपुर, मनीराम कड़वासरा असरांवा के सुपुत्रों ने अपने माता—पिता की स्मृति में जाम्भाणी साहित्य उपहार में देने के लिए दिया।
हिसार के सेक्टर 33 हिसार निवासी डॉ. सुरेंद्र खिचड़ ने अपने गृह प्रवेश के अवसर पर जांभाणी साहित्य उपहार में देने के लिए दिया। कैप्टन प्रेम प्रकाश जगाण, विजय कुमार मांझू फतेहाबाद, कृष्ण लाल काकड़ आदमपुर, एडवोकेट रविंद्र खदाव सारंगपुर, एडवोकेट अमित काकड़ मंडी आदमपुर, कुलदीप ज्याणी सुपुत्र हंसराज ज्याणी आदमपुर ने भी जांभाणी साहित्य बच्चों को उपहार में देने के लिए दिया। श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर गांव आदमपुर पश्चिमी पाना ने मंदिर के लोकार्पण व विराट जांभाणी हरि कथा में स्मृति चिन्ह के तौर पर जांभाणी साहित्य की पुस्तक सुक्ति सागर दी। पिछले दिनों बिश्नोई समाज के नागरिकों ने विश्व पुस्तक दिवस पर जांभाणी साहित्य की 1000 सबद वाणी बिश्नोई समाज संस्कार परीक्षा में देने के लिए उपहार में दी। इनमें प्रमुख थे सेवानिवृत जिला वन अधिकारी ओमप्रकाश नैन, नगर निगम के सेवानिवृत ईओ अरविंद धारणिया, पेरिस बस सर्विस से जगदीश गोदारा, हेतराम बिश्नोई रिटायर्ड एसपी, विजय भांभू आदमपुर, अभिनय ज्याणी प्रेम नगर हिसार, दलीप डूडी, रवि कजारिया टाइल, रामसिंह सिंगड़ बड़ोपल, मनीसिंह रिटायर्ड हेडमास्ट उकलाना, रमेश गोदारा निवासी सेक्टर 14 हिसार व हरियाणा रोडवेज के सेवानिवृत निरीक्षक पृथ्वी सिंह माल ने 100-100 शब्दवाणी बिश्नोई समाज संस्कार परीक्षा में देने के लिए भेंट की।
जांभाणी साहित्य हर बिश्नोई के घर में पहुंचे इसके लिए पृथ्वी सिंह गिला का प्रयास सराहनीय है। वे परीक्षा के आयोजन व बच्चों में जांभाणी साहित्य वितरित करने के लिए सर्दी, गर्मी, दिन—रात लगे रहे। कई बाहर तो वाहन के अभाव में उन्हें आटो लेकर कथा स्थल या परीक्षा स्थल पर पहुंचना पड़ा लेकिन एक जुनून के चलते उनके पांव नहीं रूके। उनकी एक ही अपील है कि प्रत्येक बिश्नोई गांव में सामाजिक कार्यकर्ता आगे आएं और यह परीक्षा करवाएं। पृथ्वी सिंह गिला बताते हैं कि धर्म का प्रचार—प्रसार करके उन्हें खुशी मिलती है। इस कार्य में समाज के नागरिकों का उन्हें व्यापक सहयोग मिल रहा है। खास बात यह है कि अब जांभाणी हरिकथा ज्ञान यज्ञ के दौरान स्मृति चिन्ह के तौर पर जम्भसागर दिया जाने लगा है, जो अच्छी पहल है।

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