बहादुरगढ़,
शहर के एक प्रइवेट अस्पताल में कार्यरत रहे तीन चिकित्सकों को एक बच्चे के इलाज में लापरवाही बरतने पर न्यायधीश विवेक कुमार की अदालत ने 3-3 साल की सजा सुनाई है। करीब 9 साल पुराने में मामले अदालत ने डा. मनीष पाल, दीपक शर्मा व रितेश कुमार को सजा सुनाई है।
मृतक बच्चे की मां शीला देवी की वकील सोमवती कादियान ने इस सजा की पुष्टि करते हुए कहा कि गरीब मां को आज न्याय मिला है, इसके लिए वह संघर्ष कर रही थी। सोमवती कादियान ने कहा कि 21 जनवरी 2011 को सैनिक स्कूल में 9वीं कक्षा का छात्र राहुल रेल की पटरी के निकट जा रहा था कि तेज रफ्तार से निकल रही रेलगाड़ी के कारण वह गिर गया जिससे उसके सिर पर पत्थर से चोट लग गई।
उसे गंभीर हालत में शहर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां उस समय 25 हजार रुपए जमा करवाने के बाद भी डाक्टरों ने गंभीरता इलाज नहीं किया। वहीं अस्पताल के प्रबंध निदेशक दीपक खट्टर ने बताया कि यह मामला 2011 का है और इस मामले में लापरवाही बरतने पर अस्पताल प्रबंधन पहले ही आरोपी चिकित्सकों पर कार्रवाई कर चुका है। करीब 6 वर्ष पूर्व ही उन्हें अस्पताल से निकाला जा चुका है। इस केस में अस्पताल प्रबंधन पार्टी नहीं रहा है बल्कि लापरवाही करने वाले चिकित्सक पार्टी रहे हैं।