धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 598

एक व्यक्ति को तालाब में बहुत ही दिव्य फूल दिखाई दिया। तालाब के पास ही उसका घर था। वह अपने घर गया और फूल के बारे में पत्नी को बताया।

पत्नी को लेकर पति तालाब किनारे पहुंचा और वह फूल दिखाया। पत्नी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी और गौतम बुद्ध के प्रति उसकी आस्था भी थी। महिला ने कहा कि जरूर यहां बुद्ध निकले होंगे, इसी वजह से ये इतना सुंदर फूल खिला है।

फूल को देखकर पति ने सोचा कि क्यों न ये फूल राजा को भेंट में दिया जाए, बदले में राजा से ईनाम मिलेगा। उसने ये बात पत्नी को भी बताई तो पत्नी ने भी इस काम के लिए हां कर दी।

व्यक्ति ने तालाब में फूल तोड़ा और राजा को देने के लिए चल पड़ा। रास्ते में एक व्यापारी ने वह फूल देखा तो उसने कहा कि ये फूल मुझे दे दो और सौ मुद्राएं ले लो। व्यक्ति ने कहा कि मैं ये फूल राजा को ही दूंगा, उनसे मुझे ज्यादा धन मिलेगा।

व्यक्ति ने व्यापारी की बात नहीं मानी और आगे बढ़ गया। कुछ देर बाद उसी रास्ते से राजा अपने सैनिकों के साथ गुजर रहे थे। उन्होंने उस व्यक्ति के हाथ में दिव्य फूल देखा तो कहा कि ये फूल हमें दे दो और बदले में हजार मुद्राएं ले लो। ये बात सुनते ही व्यक्ति का हृदय परिवर्तन हो गया। वह तुरंत दौड़कर बुद्ध के पास पहुंच गया।

व्यक्ति ने फूल बुद्ध के चरणों में चढ़ा दिया। उसने बुद्ध से कहा कि तथागत एक फूल आपके प्रभाव इतना दिव्य और मूल्यवान हो सकता है तो मैं तो इंसान हूं। अगर मैं आपकी संगत में रहूंगा तो मेरा जीवन धन्य हो जाएगा। इसके बाद वह भी बुद्ध का शिष्य बन गया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, संत-महात्माओं की संगत से नकारात्मकता खत्म हो जाती है और हम सभी बुराइयों से मुक्त हो जाते हैं। इसलिए हमें अधिक से अधिक समय संत—महात्माओं की संगत में व्यतीत करना चाहिए।

Shine wih us aloevera gel

https://shinewithus.in/index.php/product/anti-acne-cream/

Related posts

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—94

Jeewan Aadhar Editor Desk

सत्यार्थप्रकाश के अंश—44

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—455

Jeewan Aadhar Editor Desk