आदमपुर (अग्रवाल)
रक्तदान जीवनदान है क्योंकि रक्त का कोई विकल्प नहीं है। रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इससे उन लोगों को जीने की उम्मीद मिलती है, जो उम्मीद खो चुके होते हैं। रक्तदान का कार्य समाज की एक बड़ी सेवा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून को रक्तदान दिवस मनाया जाता है। विश्व रक्तदाता दिवस पर जिले के रक्तदाताओं से बातचीत की तो सामने आया कि यह दिन रक्तदाताओं को मानव जीवन की सेवा के लिए प्रेरित करता है, उन्हें सम्मानित करता है। आज यहां हम कुछ ऐसे युवाओं का जिक्र कर रहे हैं जिन्होंने न केवल खुद का रक्त देकर लोगों की जान बचाई, बल्कि दोस्तों को भी प्रेरित कर रक्तदान की महत्ता समझाई है।
महिलाएं गुड़-चना व खाएं हरी पत्तेदार सब्जियां
22वीं बार की रक्तदाता शिक्षा विभाग में कार्यरत ए.बी.आर.सी. आरती शर्मा ने कहा कि महिलाओं को भी इस पावन के कार्य में बढ़चढक़र भाग लेना चाहिए। महिलाओं में हिमाग्लोबिन की कमी पाई जाती है। अगर महिलाएं खान-पान का ध्यान रखेंगी तो सेहत सही रहेगी। महिलाएं गुड़-चना व हरी पत्तेदार सब्जियां खाकर अपना हिमाग्लोबिन बढ़ा सकती है।
इमरजैंसी में दिया रक्त तो बन गए नियमित डोनर
दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए किए जाने वाले रक्तदान को महादान कहा जाता है। राजकीय माध्यमिक विद्यालय लाखपुल में कला अध्यापक के पद पर कार्यरत दिनेश गर्ग अब तक 29 बार रक्तदान कर चुके हैं। अध्यापक गर्ग को अपने एक परिचित महिला जिनको इमरजैंसी में रक्त की जरूरत थी पहली बार उनको खून देकर उनकी जान बचाने के लिए रक्तदान किया। यहीं से अध्यापक को ब्लड डोनेट करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने बताया कि बचपन में जब वे अपने बुजुर्गों के साथ बैठते थे तो उस वक्त बातों में पता चलता था कि खून की कमी की वजह से फलांं आदमी की मौत हो गई है तभी से रक्तदान की भावना जागृत हो गई।
जरूरतमंदों से मिलती है दुआएं
50वीं बार के रक्तदाता आनंद मोहब्बतपुर ने कहा कि भगवान ने सबको एक ही रक्त दिया है। उसका रंग केवल लाल है। वह जाति, धर्म, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के दायरे में नही आता। मानक को रक्त नालियों में नाडिय़ों में बहना चाहिए। लोग रक्तदान के महत्व को समझें और अधिक से अधिक लोगों के जीवन को रक्तदान से आलोकित करें। रक्तदान एक ऐसा दान है जो न सिर्फ आपको जरूरतमंद की दुआएं दिलाता है बल्कि आपके शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है। आपके खून की चंद बूंदों से किसी घर का चिराग बुझने से बच सकता है।
न मजहब देखता न जाति: राजली
56 बार के रक्तदाता सरदानंद राजली का कहना है कि रक्तदान एक ऐसा दान होता है जिसमें आप यह नहीं जानते कि आप किसका जीवन बचा रहे हैं। ये न मजहब देखता है न जाति बस आपके दान को जरूरतमंद तक पहुंचा देता है। जब मकसद इतना लाजमी है तो सिर्फ पुरुष ही क्यों इसमें आगे रहे। जानकर हैरानी होगी लेकिन गत कुछ वर्षो में महिलाओं के रक्तदान करने की संख्या में इजाफा हुआ है। ये मंजिल नहीं लेकिन सफर शुरू होने का इशारा जरूर है।
रक्तदान कर बने जीवनदाता: शर्मा
63 बार रक्तदान कर चुके राष्ट्रीय रक्तदान प्रेरक शिविर संयोजक प्राध्यापक राकेश शर्मा ने बताया कि विश्व रक्तदाता दिवस पर पिछले 10 सालों से रक्तदाताओं को आगे लाने के लिए बड़ा आयोजन किया जाता है। स्वामी सदानंद महाराज के सान्निध्य में देशभर में वे 124 कैंप आयोजित कर चुके है। देशव्यापी चलाई गई इस मुहिम में वे हजारों रक्तदाताओं को जोड़ चुके है। कोरोना महामारी के चलते बड़े आयोजन की बजाए हिसार नागरिक अस्पताल में शिविर का आयोजन किया जा रहा है। आज इस बात की प्रबल आवश्यकता है कि हम स्वयं भी रक्तदान करें और दूसरों को भी इस कार्य के लिए प्रोत्साहित करें। मानवता की सेवा के प्रतीक रक्तदान का गौरव बढ़ाएं -रक्तदाता बनें, जीवनदाता बनें।
रक्तदान कर मनाएंगे विश्व रक्तदाता दिवस
विश्व रक्तदाता दिवस के उपलक्ष्य में रविवार 14 जून को हिसार के नागरिक अस्पताल में स्वामी सदानंद प्रणामी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जिला रेडक्रास सोसायटी के सहयोग से रक्तदान महायज्ञ का आयोजन सुबह 9 बजे से किया जाएगा।
रक्तदान करने से पूर्व रखना होगा ध्यान
1. सभी मास्क या फेस कवर पहनकर आएं।
2. सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखना जरूरी है।
3. बीमारी होने पर रक्तदान करने न आएं।
4. हाल ही में बाहर से यात्रा करके आए हो तो न आएं।
5. रक्तदान करने से पहले अपने हाथों को सैनिटाइज करें।
6. जाने या अनजाने में कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क या फिर उसके परिवार से हों तो रक्तदान करने से बचें।