टोहाना (नवल सिंह)
शिक्षित बने..शिक्षित बनाये..मैंने किताब पढ़ी अब दूसरे को पढ़ाये..इसी आदर्श वाक्य खरा उतर रहा है टोहाना के एसएस पब्लिक स्कूल में स्थापित महात्मा ज्योतिबा फुले बुक बैंक। इस बैंक विद्यार्थी अपनी पुरानी किताबें जमा करवाते है। किताबों के जामा करवाने के बाद किताबों पर जिल्द चढ़ाई जाती है और उसकी स्थिती को ठीक किया जाता है। इसके बाद इन किताबों को जरुरतमंद बच्चों को नि:शुल्क दी जाती है।
जीवन बनाने का काम
महात्मा ज्योतिबा फुले बुक बैंक के संस्थापक धर्मपाल सैनी ने बताया कि पुरानी किताबें अकसर अभिभावक कबाड़ में बेच देते है। इसके बदले उन्हें केवल 100—150 रुपए ही मिल पाते है। इसके चलते विचार किया गया कि क्यों ना इन किताबों का सही प्रयोग किया जाए। काफी सोच—विचार के बाद महात्मा ज्योतिबा फुलेे बुक बैंक की स्थापना की गई। इसमें हर साल सैंकड़ों विद्यार्थी किताबें जमा करवाते है। इससें काफी जरुरतमंद बच्चों को लाभ पहुंच रहा है।
किताब दान—जीवन दान
धर्मपाल सैनी का कहना है कि किताब दान का मतलब सीधे अर्थों में जीवन दान है। समाज में बहुत से बच्चे महंगाई के चलते किताबें नहीं खरीद पाते। इसके चलते उनकी शिक्षा भी अधूरी रह जाती है। लेकिन यदि विद्यार्थी अपनी पढ़ी हुई किताब दान करता है तो इससे वंचित बच्चों को भी शिक्षा का सुअवसर प्राप्त होता है। पढ़—लिखकर ये बच्चे न केवल अपना जीवन सुधारेेंगे बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देंगे।
किताब दान—संस्कारवान समाज
यदि अभिभावक अपने बच्चोें को किताब दान करने के लिए प्रेरित करेंगे तो उनके बच्चों में समाज के प्रति कर्त्तव्यों का भाव जागेगा। किताब दान से वे समाज की कमियों से रुबरु होना आरंभ होंगे और फिर बच्चों में उन कमियों को दूर करने का भाव भी आयेगा। बचपन में किताब दान करने की परंपरा भविष्य संस्कारवान समाज का निर्माण करेगा और इससे हमारा राष्ट्र खुशहाल और प्रगतिशील बनेगा।