(जीवन आधार डेस्क)
सेब को गिरते देख गुरुत्वाकर्षण बल का सिद्धांत लॉकडाउन की ही बड़ी खोज माना जाता है। कहा जाता है आइजक न्यूटन ने प्लेग के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान ही सेब को पेड़ से गिरता देखा और यहीं से आरंभ हुआ उनका वैज्ञानिक बनने का सफर।
बात सन 1665 की है। चूहों के कारण लंदन में प्लेग फैल गया। लोग तेजी से मरने लगे। देखते-देखते चार लाख वाले लंदन की आबादी आधी हो गई। लोग बीमार व्यक्ति को क्वारंटीन करने में लग गए। संक्रमित व्यक्ति को चालीस दिनों तक घरों में बंद कर रखा जाने लगा। शव के साथ जाने की भी किसी को अनुमति नहीं थी। ठेले पर शवों को लादकर एक ही साथ गड्ढे में डाल कर ढका जाने लगा।
बच्चों को घर बैठने तथा कॉलेज के छात्रों को शहर छोड़कर घर जाने के आदेश हुए। इन्हीं कॉलेजों में लंदन का कैंब्रिज ट्रीटी कॉलेज भी था जिसमें आइजक न्यूटन पढ़ते थे। कॉलेज बंद होने पर वह घर आ गए और दादी के साथ रहने लगे। यह घर लंदन शहर से साठ मील दूर वुल्सथ्रोप में था। घर आकर न्यूटन कॉलेज के दबाव से मुक्त थे। उनके घर के ठीक बाहर सेब का एक पेड़ था जिसकी छाया में बैठकर वह अपना समय व्यतीत करते थे। इसी पेड़ और प्लेग ने उन्हें महान वैज्ञानिक बनाया क्योंकि यहीं पर उनका ध्यान गिरते सेब पर गया और गुरुत्वाकर्षण की खोज का मार्ग प्रशस्त हुआ। दो वर्ष तक प्लेग के कारण उनका कॉलेज बंद रहा और वह घर पर रहे।
इसी दो वर्ष में उन्होंने गहन चिंतन करके जो शोधपत्र तैयार किया उससे उन्हें 1667 में कॉलेज वापस आने पर फैलोशिप मिली जिससे वैज्ञानिक खोज का मार्ग प्रशस्त हुआ। न्यूटन की कहानी से पता चलता है कि लॉकडाउन में कुछ नया करके युवा अपना सुनहरा भविष्य तैयार कर सकते हैं।