चरखी दादरी भिवानी

किसानों के लिए मसीहा थे चौधरी चरण सिंह

किसान दिवस 23-दिसंबर पर विशेष

चरखी दादरी,
प्रदेश व देश के इतिहास में किसानों के मसीहा के नाम से जाने वाले चौधरी चरण सिंह की जयंती 23 दिसंबर को है। इस महान विभूति के बारे में प्रेस से जानकारी सांझा करते हुए रानीला के महावीर मास्टर एवं हरियाणा राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता आनंद चौधरी ने बताया कि चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उतर प्रदेश के नूरपूर गांव में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा जानी. खुर्द से पूरी की। वर्ष 1912 में मेरठ से इंटरमिडियट तथा 1923 से 27 तक आगरा में रहकर बीएससी, एमए इहितास और वकालत पास की। अपने प्रारंभिक जीवन में ही चौधरी साहब ने देश के उत्थान में गांवों के निर्णायक महत्व के बारे में पूरी तरह से समझ लिया था।
गांधी जी के आह्वान पर सर्वप्रथम 1930 के नमक आंदोलन में जेल गए इसके बाद 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह तथा 1942-43 के भारत छोडों आंदोलन में जेल गए। स्वतंत्र भारत के शासन में मीसा के अर्न्तगत उन्होंने 1976-77 में जेल काटी। 1937 में पहली बार मेरठ जिले की छपरोली विधानसभा से निर्वाचित हुए। उत्तर प्रदेश के विभिन्न पदो पर आसीन रहे। उन्होंने कार्यकाल के दौरान पार्लियामेंट सचिव, राज्य मंत्री, उप मंत्री गृह मंत्री कृषि सिचाई एवं पशु पालन आदि विभागों का कार्य देखा था। उत्तर प्रदेश के मंत्री काल में ग्रामीण जनता को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए “जमींदारी उन्मूलन कानून पास करवाया, जिससे किसानों व मजदूरों के जीवन में नया मोड आया।
चौधरी चरण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। 1967 में कांग्रेस से मतभेद होने के बाद भारतीय क्रान्ति दल का गठन किया। इसके पश्चात उनकी अध्यक्षता में भारतीय लोकदल की स्थापना हुई। 1977 में जनता पार्टी के गठन में विशेष भूमिका निभाई।
जनता पार्टी की सरकार में उन्होंने गृह मत्री का पद संभाला । जनता पार्टी के आपसी मतभेद के कारण उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा। 1978 में किसान सम्मेलन के बाद उन्हें दो बार वित मंत्री व वरिष्ठ उप प्रधानमंत्री बनाया गया।
1 – गृहमंत्री के रूप में चौधरी साहब ने पिछडों और परिणित जाति के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में समुचित आरक्षण की दृष्टि से मंडल आयोग की स्थापना का ऐतिहासिक कार्य किया।
2 – वित मंत्री के रूप में चौधरी साहब ने राष्ट्रीय कृषि एवं विकास बैंक “नावार्ड की स्थापना की। ग्रामीण बेरोजगारों- के लिए काम के बदले अनाज तथा अंत्योदय जैसी योजनाओं की शुरूआत की। चौधरी साहब ने पहली बार कृषि बजट (40 प्रतिशत) में आबंटित राशी में वृद्धि की।
28 जुलाई 1979 को धरा पुत्र चौधरी साहब ने देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए ग्रामीण पुनरूत्थान मंत्रालय की स्थापना की।
ईमानदारी की प्रतिमूर्ति : चौधरी साहब जीवन भर ईमानदारी से कार्य के प्रति प्रतिबद्ध रहे. जीवन में किसी भी क्षेत्र में भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया। उनका जीवन एक खुली किताब की तरह था। चौधरी साहब एक निर्भीक चिंतक थे। अपनी बात को बिना किसी लाग लपेट के निर्भिकता के साथ करते थे। चौधरी साहब कहा करते थे- “देश की खुशहाली का रास्ता खेतों, खलिहानों एवं गावों से होकर गुजरता है। चौधरी साहब नेता, नीति एवं नीयत की स्पष्ट व्याख्या करते थे। चौधरी साहब ने 1940 के दौरान बरेली जेल में रहते हुए अनेक पुस्तके लिखी। इनमें पहली शिष्टाचार, दूसरी जातिवादी कौन? तथा तीसरी भारतीय अर्थ व्यवस्था का दिव्य स्वप्न-शंका एवं समाधान आदि महत्वपूर्ण विषय संबंधित किताबे शामिल है। चौधरी साहब जीवन पर्यन्त देश के किसानों, पिछडों और दलितों के लिए कार्य किये। चौधरी साहब की राजनीति का स्पष्ट आधार था – गरीबी उन्नमूलन, जातिय एकता की स्थापना, देश को सशक्त तथा समृद्ध बनाना। चौधरी साहब की दृष्टि में शासन का प्रथम दायित्व-जनता का हित और राष्ट्र को समृद्ध बनाना। चौधरी साहब की प्रतिबद्धता – लोकतंत्र, लोक कल्याण, जनता का हित और राष्ट्र की समृद्धि। चौधरी साहब ने लघु तथा कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देने की नीति पर बल दिया था ताकि अधिक से अधिक लोगो को रोजगार मिल सके। चौधरी साहब कट्टर आर्य समाजी एवं महात्मा गांधी के अनुयायी थे। चौधरी साहब एक बड़े अर्थशास्त्री थे वे गांवों व किसानों के प्रति पूरी तरह से समर्पित थे। आज देश को आंतकवाद, अलगाववाद, साम्प्रदायिकता, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी दूर करने तथा देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए चौधरी चरण सिंह जैसे सक्षम नेतृत्व की आवश्यकता है। आज चौधरी साहब हमारे बीच नहीं है किन्तु उन्होंने अपने जीवन में जिन सिद्धांतों का. मूल्यों का निर्माण किया वे आज भी हमारा पथ-प्रदर्शन कर रहे है और करते रहेंगे।

प्रेषक
मास्टर महावीर सिंह, रानीला
प्रदेश प्रवक्ता आनंद चौधरी
संपर्क सूत्र:
7027562206, 9812969111, 7988149874

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