नई दिल्ली,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संदेश देते हुए बताया कि भारत ने पृथ्वी की निचली कक्षा में एंटी सैटेलाइट मिसाइल से एक सैटेलाइट को मार गिराया है। यह सैटेलाइट भारत में ही विकसित किया गया है। भारत के वैज्ञानिकों की ओर से जिस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है, वह पृथ्वी की निचली कक्षा यानी लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit) में किया गया है। ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर यह लो अर्थ ऑर्बिट क्या है?
#WATCH Simulation of the #ASAT BMD interceptor missile (video courtesy: Defence sources) #MissionShakti pic.twitter.com/U5Bot6tFx3
— ANI (@ANI) March 27, 2019
भारत ने पृथ्वी की सतह से 300 किलोमीटर दूर एक सजीव सैटेलाइट को गिराया है। भारत अंतरिक्ष में ये उपलब्धि हासिल कर अमेरिका, चीन और रूस के बाद ऐसा करने वाला चौथा बड़ा देश बन गया है। बता दें कि लो अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्वी की निचली कक्षा पृथ्वी के सबसे नजदीक ऑर्बिट (कक्षा) है। यह पृथ्वी की सतह से 160 किलोमीटर (99 मील) और 2,000 किलोमीटर (1,200 मील) के बीच ऊंचाई पर स्थित है।
यह पृथ्वी की सतह से सबसे नजदीक है। लो अर्थ ऑर्बिट के बाद मिडियन अर्थ ऑर्बिट, Geosynchronous ऑर्बिट और उसके बाद हाई अर्थ ऑर्बिट है। हाई अर्थ ऑर्बिट पृथ्वी की सतह से 35,786 किलोमीटर पर स्थित है।
बता दें कि साल 2022 में जो भारत की ओर से जो तीन भारतीय अंतरिक्ष भेजे जाएंगे, वो भी इस लो अर्थ ऑर्बिट में रहेंगे। इस प्रोजेक्ट को लेकर इसरो ने कहा था कि सिर्फ 16 मिनट में तीन भारतीयों को श्रीहरिकोटा से स्पेस में पहुंचा दिया जाएगा और तीनों भारतीय स्पेस के ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में 6 से 7 दिन बिताएंगे।
वहीं हाल ही में कुछ सैटेलाइट इस कक्षा में भेजे गए थे। निचली कक्षा से जमीन की दूरी कम होने की वजह से कनेक्शन काफी बेहतर होता है। कई सैटेलाइट के माध्यम से इंटरनेट की स्पीड में इजाफा करने का प्रयास भी किया गया है।