नई दिल्ली (आरती शर्मा)
मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी को नरक समान बनाने वाले तीन तलाक को सदा के अलविदा कहने की शुरुआत आज से हो सकती है। संसद में चल रहा गतिरोध समाप्त होने के बाद अब गुरुवार को सरकार लोकसभा में तीन तलाक पर बिल पेश कर सकती है। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया है। साथ ही बिल को पास कराने में सरकार को कांग्रेस का भी साथ मिल सकता है। संसद के सत्र से पहले बीजेपी संसदीय दल की बैठक भी है।
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विपक्षी पार्टी कांग्रेस सरकारी बिल का संसद में साथ दे सकती है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में बुधवार देर रात कांग्रेसियों इस मुद्दे पर बैठक की. सूत्रों के मुताबिक बैठक में तीन तलाक बिल के पक्ष में कांग्रेस दिखी। ऐसे में मुमकिन है कि इस बिल को पास करवाने में केंद्र सरकार को कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए।
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दरअसल तीन तलाक विधेयक को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले अंतर मंत्रीस्तरीय समूह ने तैयार किया है जिसमें मौखिक, लिखित या एसएमएस या व्हाट्सएप के जरिये किसी भी रूप में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत को अवैध करार देने और पति को तीन साल के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक को इस महीने ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। यह विधेयक पिछले हफ्ते पेश किया जाना था लेकिन संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने संवाददाताओं से कहा था कि इसे अगले सप्ताह पेश किया जाएगा।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को सरकारी बिल नापसंद
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को महिला विरोधी बताया है। बीते रविवार को लखनऊ में इस संबंध में पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में तीन तलाक पर प्रस्तावित बिल को लेकर चर्चा की गई। कई घंटों चली बैठक के बाद बोर्ड ने इस बिल को खारिज करने का निर्णय लिया। इतना ही नहीं ट्रिपल तलाक पर लाए जा रहे इस बिल को बोर्ड ने महिला विरोधी बताया है। साथ ही तीन साल की सजा देने वाले प्रस्तावित मसौदे को क्रिमिनल एक्ट करार दिया है। बोर्ड की मीटिंग में तीन तलाक पर कानून को महिलाओं की आजादी में दखल कहा गया है।
कैसा होगा बिल?
गौरतलब है कि सरकार ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ नाम से इस विधेयक को ला रही है। ये कानून सिर्फ तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानि तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा। इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा।
इसके बाद से किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक वह चाहें मौखिक हो, लिखित और या मैसेज में, वह अवैध होगा। जो भी तीन तलाक देगा, उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। यानि तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय ( Cognizable) अपराध होगा। इसमें मजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना होगा।
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ऐसा है प्रस्तावित बिल
एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कहना गैरकानूनी होगा। ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है। यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा। यह कानून सिर्फ ‘तलाक ए बिद्दत’ यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा। तलाक की पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी।
पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे। यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है।
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