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भारत है कला प्रेमी देश – विक्रम मोहन

हिसार
हम यानि हमारा देश कला और संस्कृति का प्रेमी है, तभी सहिष्णु है। कला एक इंसान को क्रोध, झूठ व अपराध से दूर तथा सच्चाई और शान्ति के बिल्कुल नजदीक लेकर आती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के विक्रम मोहन सेक्टर-15 क्षेत्र के नजदीक स्थित रियास स्टूडियो में कला प्रेमियों को कंटेम्परेरी सिखाने के लिए आए थे। यहीं उनसे विशेष बातचीत हुई।
विक्रम मोहन अपनी कंटेम्परेरी के हुनर को भारत देश के अलावा हॉलैंड, जर्मनी, इंडोनेशिया व मलेशिया में भी साबित कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कंटेम्परेरी कला के माध्यम से एक कलाकार एक दूसरे व्यक्ति की अभिव्यक्ति, सोच और प्रकृति को सामने प्रस्तुत करता है और वह व्यक्ति इसे देख खुद को सुखद महसूस करता है।

म्युजिक दर्शकों के लिए है, प्रस्तुत करने वाले के लिए नहीं
विक्रम मोहन ने बताया कि कंटेम्परेरी की प्रस्तुति के वक्त जिस म्युजिक पर कलाकार प्रस्तुति देता है, असल में कलाकार को प्रस्तुति देते वक्त यह म्युजिक सुनाई नहीं देता, बल्कि कलाकार के जहन में ही अभिव्यक्त करने के लिए अंत:मन में म्युजिक बज रहा होता है, जिस पर वह स्वतंत्र रूप से प्रस्तुति दे रहा होता है।
देश के हर शहर में बढ़ रहे कलाप्रेमी
कंटेम्परेरी एक्सपर्ट विक्रम मोहन ने बताया कि आज भारत में न केवल नृत्य कला को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि आज हर देशवासी कला के किसी न किसी रूप को सीखकर अपना सुखद अनुभव महसूस करने की इच्छा रख रहा है। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे कला की ओर लोगों का रूझान बढ़ रहा है। भारत में अब कला का भविष्य और बेहतर बनने वाला है।
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कला प्रेमी के लिए क्रिएटिव मूवमेंट्स को जानना सबसे जरूरी : जोशी
विक्रम मोहन के साथ उपस्थित अभिनय रंगमंच के सचिव तथा रियाज स्टूडियो के प्रमुख मनीष जोशी ने कहा कि कला को सीखने वालों के लिए क्रिएटिव मूवमेंट्स की जानकारी बहुत जरूरी होती है और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कंटम्परेरी कला के नर्तक विक्रम मोहन इन्हीं क्रिएटिव मूवमेंट्स की जानकारी देने के लिए हिसार आए। उन्होंने कहा कि कला एक व्यक्ति की हर अभिव्यक्ति को बेहतरीन तरीके से न केवल प्रस्तुत कर सकती है, बल्कि व्यक्ति को उन्हीं क्रिएटिव मूवमेंट्स के माध्यम से सुख का एहसास भी करवाती है।

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