पानीपत हरियाणा

जिंदगी के संघर्ष की कहानी है चित्रकार जोधा सिंह की डॉक्यूमेंट्री

पानीपत (प्रवीण भारद्वाज)
ड्रीम वर्ल्ड प्रोडक्शन ग्रुप की ओर से होटल मिडटाउन में स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र जोधा सिंह की जीवनी पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म लांच की गई। आजादी के समय चित्रकार जोधा सिंह के पाकिस्तान से करनाल आकर बसने से लेकर एक इंटरनेशनल कंपनी के प्रेसिडेंट बनने तक का सफर इसमें फिल्माया गया है। फिल्म का उद्घाटन सांसद राजकुमार सैनी ने किया। उन्होंने कहा कि उनका जीवन भी जोधा सिंह की तरह संघर्ष भरा रहा है, इनके संघर्ष से कुछ नया सिखने को मिला है। जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

जोधा सिंह पर दर्शाई गई 23 मिनट 45 सेकेंड की इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में जोधा सिंह के वर्ष 1947 से लेकर वर्ष 2017 तक के जीवन सफर को दर्शाया गया है। विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने किस तरह उन्होंने जीवन में संघर्ष किया। उनके बुलंद इरादों और रंगों के दम  पर यूनेस्को जैसी  संस्था से जुडी कम्पनी ने भारत में आर्ट से जुड़े कार्यक्रम का प्रेजिडेंट नियुक्त किया। जीवन आधार जनवरी माह की प्रतियोगिता में भाग ले…विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीत सकते है हर माह नकद उपहार के साथ—साथ अन्य कई आकर्षक उपहार..अधिक जानकारी के लिए यहां क्ल्कि करे।

डायरेक्टर राजेश खैंची ने टीम के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इसे हिंदी व इंग्लिश भाषा में तैयार किया है। फिल्म में दिखाया गया है कि किसी तरह जोधा सिंह का परिवार करनाल में आकर बस तो जाता है, लेकिन परिवार को गुजारा करने के लिए कितनी तकलीफ उठानी पड़ती है। मां की मौत होने पर स्वतंत्रता सेनानी पिता राम सिंह उन्हें बाल अनाथालय में छोड़ देते है।  सरकारी नौकरी में पेंटिग का शौक खत्म होता दिखा तो सरकारी नौकरी छोड़कर जोधा सिंह ने पेंटिग को ही अपना पेशा बना लिया। नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंधक बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

उनकी मेहनत और लग्न के चलते उनकी तस्वीर बोलने लगी। उनकी बात करती तस्वीरों की प्रसिद्धी भारत से होते हुए विश्वभर में पहुंची तो यूरोपीय कंपनी जैरवास की ओर से उन्हें निमंत्रण आया। बाद में यूनेस्को से जुड़ी कंपनी ने यूरोप के पराग शहर में बुलाया। कंपनी के अधिकारी उनकी कला पर मुग्ध हुए तो सीधा भारत में अपने चित्रकारी से जुड़े कार्यक्रम के  प्रेसिडेंट का दायित्व  सौंप दिया । 
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