नई दिल्ली,
पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 सिटिंग जज न्यायपालिका की खामियों की शिकायत लेकर मीडिया के सामने आए तो सरकार में हड़कंप मच गया। सिटिंग जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुंरत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और राज्य मंत्री पीपी चौधरी को तलब किया है। बताया जा रहा है कि सरकार इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं देना चाहती इसी वजह से कानून मंत्री को बुलाकर पीएम जरूरी दिशा-निर्देश दे सकते हैं।
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न्यायपालिका में ये पहला मौका होगा जब सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने मीडिया को संबोधित किया। चीफ जस्टिस के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कभी-कभी होता है कि देश के सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था भी बदलती है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी।
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जजों ने बताया कि चार महीने पहले हम सभी ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था। जो कि प्रशासन के बारे में थे, हमने कुछ मुद्दे उठाए थे लेकिन उन मुद्दों को अनसुना किया गया।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में जजों ने कहा कि चीफ जस्टिस पर देश को फैसला करना चाहिए, हम बस देश का कर्ज अदा कर रहे हैं। जजों ने कहा कि हम नहीं चाहते कि हम पर कोई आरोप लगाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे।
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