नई दिल्ली,
2000 के नोट की छपाई बंद हो चुकी है। अब नया 2000 का नहीं छप रहा यानि सरकार धीरे—धीरे 2000 के नोट को चलन से बाहर करती जा रही है। यही कारण है कि बैंकों में अब 2000 के नए नोट नहीं आ रहे।
जानकारी के मुताबिक, देश में 2000 के नोट सबसे ज्यादा चलन में वर्ष 2017-18 के दौरान रहे। इस दौरान बाजार में 2000 के 33,630 लाख नोट चलन में थे। इनका कुल मूल्य 6.72 लाख करोड़ रुपये था। लेकिन 2000 के नोट अब उतने चलन में नहीं रहे। इनकी संख्या में 9,120 लाख यानी 27% की कमी आई। इस तरह बाजार से 1.82 लाख रुपये के 2000 के नोट चलन से बाहर हो गए हैं।
वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में ये जानकारी दी थी कि पिछले दो साल से 2000 रुपये के एक भी नोट की छपाई नहीं हुई है। अप्रैल 2019 के बाद से केंन्द्रीय बैंक ने 2000 का एक भी नोट नहीं छापा है। उसकी वार्षिक रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि ऊंचे मूल्य के कारण 2000 के नोट कालेधन के रूप में जमा किए जा रहे हैं। 2016 में नोटबंदी के समय भी विशेषज्ञों को 4 से 5 लाख करोड़ रुपये की करेंसी के वापस नहीं आने की उम्मीद थी। हालांकि उसके बाद RBI ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि बंद किए गए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट में से लगभग 99% वापस आ गए।
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च तक देश में 2000 रुपये के मात्र 24,510 लाख नोट ही चलन में बचे हैं। इनका कुल मूल्य 4.90 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि 2000 रुपये के नोट चलन में भले कम हुए हैं, लेकिन अन्य बैंक नोट जैसे कि 500, 200 रुपये के नोट का चलन बढ़ा है। इस दौरान देश में नकदी का उपयोग भी बढ़ा हैं।
देश में 31 मार्च 2021 तक चलन में कुल करेंसी नोट में 500 और 2000 की हिस्सेदारी 85.7% रही जो 31 मार्च 2020 तक 83.4% थी। RBI की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि 500 के नोट 2000 के नोट की जगह ले रहे हैं। सर्कुलेशन करेंसी में सबसे अधिक हिस्सेदारी 31.1% 500 के नोट की है। इसके बाद 23.6% हिस्सेदारी 10 रुपये के नोट की है।