हरियाणा

70 तबादले झेल चुके कासनी छह माह के वेतन बिना होंगे रिटायर, सीने में दर्द लिए रिटायर होंगे कासनी

चंडीगढ़,
34 साल की सर्विस में 70 तबादले झेल चुके प्रदीप कासनी 28 फरवरी को रिटायरमेंट ले रहे है। कसनी छह माह के वेतन, भत्ते और सुख सुविधा के बिना रिटायर हो रहे है।
वर्ष 1980 बैच के एचसीएस अधिकारी प्रदीप कासनी वर्ष 1997 में आइएएस बने थे। उन्होंने हरियाणा सरकार के साथ वर्ष 1984 में अपनी सेवाएं शुरू की थी। उनकी पत्नी नीलम प्रदीप कासनी हरियाणा के राज्यपाल की एडीसी रह चुकी हैं और पिछले साल ही रिटायर हुई हैैं। प्रदीप कासनी की रिटायरमेंट 28 फरवरी को है।

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हरियाणा सरकार ने कासनी को पिछले साल 24 अगस्त को लैैंड यूज बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर स्थानांतरित किया था। तब से कासनी अपने वेतन, भत्तों, गाड़ी और दफ्तर की लड़ाई लड़ रहे हैैं। कासनी को जब बैठने के लिए दफ्तर और काम करने के लिए फाइलें और स्टाफ नहीं मिला तो उन्होंने बोर्ड के बारे में सरकार से पूछा।

हरियाणा सरकार से जवाब नहीं मिलने पर कासनी ने आरटीआइ लगाई, जिसके जवाब में सरकार ने माना कि लैैंड यूज बोर्ड वर्ष 2008 से अस्तित्व में ही नहीं है। वर्ष 2007 में यह पर्यावरण विभाग के अधीन था। बाद में इसे कृषि विभाग के अधीन किया गया, लेकिन कृषि विभाग ने केंद्र सरकार को इस विभाग को बंद करने का प्रस्ताव भेजा, जो मंजूर हो चुका था।

इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने कासनी को इस बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर तैनात कर दिया। इस पर कासनी अपने वेतन और भत्तों के लिए जब हाईकोर्ट गए तो उन्हें सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में जाने की सलाह दी गई।

कैट ने कासनी के वेतन और भत्तों के बारे में हरियाणा सरकार से जवाब मांगा हुआ है। इस केस में सुनवाई 7 मार्च को होगी, तब तक कासनी रिटायर हो चुके होंगे। कानूनी प्रावधान के अनुसार यदि कासनी केस जीते तो हरियाणा सरकार को उन्हें वेतन और भत्तों के साथ 18 फीसद ब्याज भी देना होगा।

हरियाणा आइएएस आफिसर्स एसोसिएशन का चाय का प्रस्ताव कासनी ने ठुकरा दिया है। मुख्य सचिव डीएस ढेसी एसोसिएशन के अध्यक्ष हैैं। कासनी ने कहा, रिटायरमेंट पर कुछ साथियों का फोन आया था। चाय पिलाने की बात कह रहे थे। मैैंने उन्हें कहा कि आप ही मेरे घर आ जाइए। मैैं खुद आपको चाय पिलाता हूं। कासनी के दिल में एसोसिएशन की बेरुखी की पीड़ा साफ दिखाई दी। उनका कहना है कि यदि एसोसिएशन वास्तव में मेरे हक में थी तो मेरी लड़ाई लड़नी चाहिए थी।

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