नई दिल्ली,
छतरपुर के असोला गांव के पास ग्राम सभा, फॉरेस्ट लैंड और रेवेन्यू डिपार्टमेंट की करीब 445 बीघा जमीन पर राधा स्वामी सत्संग ब्यास आश्रम ने लंबे समय से अवैध कब्जा कर रखा था। इन सरकारी जमीनों पर ट्रस्ट ने कई बड़े-बड़े स्ट्रक्चर बना दिए थे। बुधवार को रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने मॉनिटरिंग कमिटी के आदेश पर सभी स्ट्रक्चर गिरा दिए। साउथ जोन के डीएम अमजद ने बताया कि असोला में करीब 934 बीघे जमीन पर अलग-अलग लोगों ने कब्जा कर रखा है। इसमें से राधा स्वामी सत्संग ब्यास ट्रस्ट का अकेले 445 बीघा जमीन पर कब्जा था।
रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अफसरों का कहना है कि असोला में रेवेन्यू डिपार्टमेंट, ग्राम सभा और फॉरेस्ट लैंड का एक बड़ा हिस्सा खाली है। इस पर ट्रस्ट सहित कई अलग-अलग लोगों ने लंबे समय से कब्जा कर रखा है। जिन लोगों ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है, उन्हें इस अवैध कब्जे को हटाने के लिए कई बार नोटिस जारी किया गया था। इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा। इसके बाद विभाग ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने पूरी जमीन की पैमाइश कर यह बताने को कहा कि यहां कितने एरिया में अवैध कब्जा है। जमीन की पैमाइश कर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सबमिट करने के बाद कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमिटी को सभी अवैध कब्जे को हटाने का आदेश दिया। कमिटी के सदस्यों ने 19 फरवरी को इस एरिया की जांच की और सभी अवैध कब्जे को पूरी तरह से तोड़ने का आदेश दिया। कमिटी के इस आदेश पर बुधवार को ट्रस्ट ने जितनी भी जमीन पर अवैध कब्जा किया था उसे तोड़ दिया गया।
डीएम के अनुसार, ट्रस्ट का अकेले करीब 445 बीघे जमीन पर कब्जा था। इसमें से ट्रस्ट ने कुछ फॉरेस्ट लैंड, कुछ रेवेन्यू डिपार्टमेंट और कुछ कब्जा ग्राम सभा की जमीन पर की थी। अफसरों का कहना है कि असोला में फॉरेस्ट लैंड 676 बीघा है, जिसमें से 226 बीघे पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। इसी तरह से ग्राम सभा की यहां 126 बीघा जमीन है, जिसमें से 111 बीघे जमीन पर कब्जा है। एजुकेशन डिपार्टमेंट की 133 बीघा जमीन है, जिसमें से 108 बीघे पर अवैध कब्जा है।
अंदर बना था हेलिपैड, हरी घास से छुपाया गया था
राधा-स्वामी सत्संग ब्यास के आश्रम में अवैध कब्जे हटाने के लिए पहुंची टीम को यहां एक हेलिपैड भी मिला। हेलिपैड को आर्टिफिशल घास से कवर किया गया था। उसका रंग ग्राउंड में उगी बाकी घास के मुकाबले कुछ ज्यादा हरा था। इस बेमेल घास की पड़ताल में ही टीम को इसके नीचे हेलिपैड मिल गया। सूत्रों ने बताया कि अभी यह जांच का विषय है कि यहां कितनी बार हेलिकॉप्टर को लैंड कराया गया। टीम को यहां पहाड़ों जैसा कुछ कंस्ट्रक्शन भी मिला। इसके अंदर आलीशान बंगले बने हुए थे। छोटी-बड़ी तहों की सुरंगों से लेकर एक कॉन्फ्रेंस हॉल भी मिला। शायद इसका मकसद यही रहा होगा कि जो लोग अंदर जाएं, उन्हें पहाड़ों जैसी शांति का अहसास हो।
सूत्रों ने बताया कि टीम को यहां ग्रीन हाउस भी मिला। एक जगह जेनरेटर हाउस भी बनाया गया था। जेनरेटर को छोड़कर बाकी स्ट्रक्चर को गिरा दिया गया। आश्रम में मेडिटेशन के लिए भी हॉल बना था। तमाम अवैध कब्जों की बाउंड्री वॉल को फूलों की बेलों से ढका गया था। आश्रम के अंदर अधिकतर देसी-विदेशी फूल लगाए गए थे।
आश्रम के अंदर एक मोबाइल नेटवर्क कंपनी का टावर भी था। बाबा की जिस कुटिया में सब भक्तों को जाने की इजाजत नहीं थी, उसे भी गिरा दिया गया। जांच की जा रही है कि कहीं आश्रम के अंदर कोई गैरकानूनी गतिविधि तो नहीं हो रही थी। आश्रम के अवैध कब्जे हटाने में मदद करने के लिए पुलिस के तीन जिलों की फोर्स को लगाया गया था। साउथ, साउथ-ईस्ट और साउथ-वेस्ट जिले से करीब 800 पुलिसकर्मी यहां तैनात किए गए थे। साउथ दिल्ली के डीसीपी रोमिल बानिया और साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी चिन्मय बिश्वाल समेत और कई आला अधिकारी भी मौजूद रहे। बताया गया कि आश्रम के अंदर अवैध कब्जे को हटाने की यह ड्राइव बुधवार सुबह 5 बजे शुरू हो गई थी, जो शाम तक चली। ड्राइव को एकदम सीक्रेट रखा गया था। पुलिस फोर्स के जाते ही आश्रम के अंदर सब हैरान रह गए। किसी ने इसका कोई विरोध नहीं किया। आश्रम के अंदर मुश्किल से 30 लोग पुलिस को मिले।