चंडीगढ़,
पंजाब पुलिस के तीन डीजीपी रैंक के अफसरों के बीच चल रहे विवाद को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को बीचबचाव के लिए उतरना पड़ा। उन्होंने राज्य पुलिस के कई आला अधिकारियों को अनुशासन में बने रहने की हिदायत दी है।
बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय के इंचार्ज होने के नाते कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब पुलिस के तमाम आला अधिकारियों जिसमें डीजीपी और एडीजीपी रैंक के अधिकारी शामिल थे, को तलब किया और कड़े शब्दों में संदेश में बताया कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अनुशासन का उल्लंघन करने वाले अफसरों को हटाने में सरकार को किसी तरह की हिचकिचाहट नहीं होगी।
मीटिंग से ठीक पहले पंजाब के सीएम की तरफ से पूरे विवाद की जांच करने के लिए बनाई गई 3 सदस्य कमेटी जिसमें गृह सचिव एनएस कलसी, मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार और डीजीपी सुरेश अरोड़ा शामिल हैं। इस कमेटी में से पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया कि आरोप लगाने वाले डीजीपी रैंक के अधिकारी ने उन पर भी आरोप लगाए हैं और ऐसे में उनका इस जांच कमेटी में बना रहना सही नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ दिनों से पुलिस विभाग में उच्च अधिकारियों के बीच चल रही खींचतान से मुख्यमंत्री बेहद खफा हैं। उन्होंने बुधवार की मीटिंग में सभी सीनियर पुलिस अफसरों को चेतावनी दी है कि अनुशासन भंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मामला दबाने का आरोप
पंजाब पुलिस के डीजीपी (ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट) सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने पिछले शुक्रवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में विशेष अर्जी देकर आरोप लगाया कि जगदीश भोला ड्रग्स मामले की जांच को दबाने के लिए पंजाब पुलिस के डीजीपी सुरेश अरोड़ा और डीजीपी इंटेलिजेंस दिनकर गुप्ता, आइजी एल के यादव के जरिए उन्हें इंदरप्रीत चड्ढा आत्महत्या मामले में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
चट्टोपाध्याय ने चीफ खालसा दीवान के पूर्व अध्यक्ष चरणजीत सिंह चड्ढा के बेटे इंदरप्रीत चड्ढा की आत्महत्या मामले में खुद को बेकसूर बताया और मामले की सीबीआइ जांच की मांग की थी। इंदरप्रीत चड्ढा ने पिता चरणजीत सिंह चड्ढा का अश्लील वीडियो सार्वजनिक होने के बाद आत्महत्या कर ली थी।
डीजीपी चट्टोपाध्याय ने यह भी आरोप लगाया था कि ड्रग्स मामले को लेकर जो वो अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं उसमें शामिल अधिकारियों को बचाने के लिए पंजाब पुलिस के डीजीपी सुरेश अरोड़ा और डीजीपी इंटेलिजेंस दिनकर गुप्ता उन्हें फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चट्टोपाध्याय की तरफ से याचिका लगाने के बाद हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की।
विपक्ष का आरोप
इसके बाद से ही पंजाब पुलिस और पंजाब की सियासत में इस पूरे मामले को लेकर बवाल उठ खड़ा हुआ। पंजाब आम आदमी पार्टी के सीनियर लीडर और विधानसभा में नेता विपक्ष सुखपाल खैहरा ने आरोप लगाया कि चट्टोपाध्याय ड्रग्स मामलों में विसल ब्लोअर हैं और पंजाब पुलिस के भ्रष्ट अधिकारियों के ड्रग्स सिंडिकेट से गठजोड़ को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी वजह से उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है। सुखपाल खैहरा ने आरोप लगाया कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी इस पूरे मामले की जानकारी है, लेकिन अपने भ्रष्ट अफसरों को बचाने के लिए वो भी चट्टोपाध्याय को अनुशासन में बने रहने का हवाला देते हुए फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस पूरे मामले पर पंजाब सरकार का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की कोशिश है कि अगर अफसरों में आपसी खींचतान है तो प्रॉपर चैनल और प्रोटोकॉल के जरिए ही इस तरह के मामलों की शिकायत मुख्यमंत्री को की जाए ना कि सीधे हाईकोर्ट में याचिका लगा दी जाए। इसी वजह से कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को मीटिंग बुलाकर अफसरों को दो टूक कहा है कि अनुशासनहीनता किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सामने कोई नहीं आया
बुधवार को मुख्यमंत्री की ओर से बुलाई गई मीटिंग में पंजाब के तमाम डीजीपी और एडीजीपी रैंक के अधिकारी शामिल हुए, लेकिन इस पूरे विवाद पर कोई भी पुलिस अधिकारी कुछ भी खुलकर बोलने या बताने को तैयार नहीं हुआ। तमाम सीनियर अधिकारियों ने गेंद गृह मंत्रालय के मुखिया मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पाले में डाल दी और कहा कि मीटिंग सीएम की ओर से बुलाई गई है तो मुख्यमंत्री ही किसी भी सवाल का जवाब देंगे। डीजीपी सिद्धार्थ चटोपाध्याय ने कहा कि ये मामला अदालत में है और वो इस पर कोई भी टिप्पणी करना नहीं चाहते हैं।
दूसरी ओर, पंजाब में ड्रग्स मामलों की जांच करने के लिए बनाई गई एसटीएफ के चीफ हरप्रीत सिद्धू ने भी इस पूरे विवाद पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। इसके बाद से ही पंजाब पुलिस और पंजाब की सियासत में इस पूरे मामले को लेकर बवाल उठ खड़ा हुआ।