आदमपुर
आदमपुर विधानसभा का उपचुनाव जैसे—जैसे पास आ रहा है वैसे ही यहां का चुनाव करवट लेता हुआ दिखाई दे रहा है। दीपावली से पहले तक जहां चुनाव के मैदान में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और इनेलो को लेकर अलग—अलग दावे किए जा रहे थे, वो स्थिती महज 3 दिन में साफ हो चुकी है। यह बात एकदम साफ हो गई है कि आदमपुर विधानसभा उपचुनाव में अब मुकाबला केवल भाजपा और कांग्रेस में ही है। आम आदमी पार्टी मुकाबले से करीब—करीब बाहर हो चुकी है। यह केवल यहां अपनी उपस्थिती ही दर्ज करवाती नजर आयेगी। अब यहां सितेंद्र सिंह से कोई बड़े उल्टफेर की उम्मीद नहीं की जा सकती।
वहीं इनेलो के कुरड़ाराम नम्बरदार का चुनाव भी गति नहीं पकड़ पा रहा है। उनको बालसम्बंध बेल्ट में ही पहले की तुलना में थोड़ा नुकसान होता दिखाई दे रहा है। आदमपुर विधानसभा में इनेलो के गढ़ रहे कालीरावण, फ्रांसी, दड़ौली, चूली कलां व खुर्द, बांडाहेडी, बुड़ाक, सुंडावास जैसे गांवों में ही उसे इस बार नुकसान उठाना पड़ रहा है। चौधरी भजनलाल परिवार को इन गांवों में सदा कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ता है। इस बार इन गांवों में कांग्रेस इनेलो से उसके मतदाता छीनती हुई दिखाई दे रही है। इन गांवों में चौधरी भजनलाल विरोधी वोट करीब—करीब एकजुट हो चुके हैं। ये सभी मिलकर कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी के पाले में आ चुके हैं।
कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम चौधरी भूपेंद्र सिंह व सांसद दिपेंद्र सिंह हुड्डा आदमपुर हलके में रात—दिन एक किए हुए हैं। लेकिन वे प्रयासों से जेजेपी के कार्यकर्ता इस चुनाव में भाजपा के स्थान पर कांग्रेस को वोट देते हुए दिखाई दे रहे हैं। आदमपुर हलके में करीब 13 हजार वोट जेजेपी के माने जाते हैं। ये पूरे के पूरे वोट इस बार भाजपा के विरोध में जाते हुए दिखाई दे रहे है। जेजेपी के कट्टर समर्थक इन दिनों कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश जेपी के साथ घुमते हुए नजर आने लगे हैं। अगर यह कहा जाएं कि जयप्रकाश जेपी का पूरा चुनाव जेजेपी के कार्यकर्ताओं ने ही उठा रखा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
दरअसल, आदमपुर जेजेपी के कार्यकर्ता भाजपा के पोस्टरों से अपनी पार्टी के नेताओं के फोटो गायब होने से खफा है। डा. अजय चौटाला और प्रदेशाध्यक्ष सरदार निशान सिंह के फोटो आदमपुर के उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी ने कहीं नहीं लगाएं। जबकि सरकार में जेजेपी इस समय भाजपा की सहयोगी पार्टी है। बड़े नेताओं की अनदेखी से नराज जेजेपी के कार्यकर्ता भाजपा को ठेंगा दिखाकर सीधे कांग्रेस की पैरवी में उतर आए है। यहीं से कांग्रेस प्रत्याशी को एक ठोस आधार मिल गया।
वहीं अगर भाजपा की बात करें तो उपचुनाव की शुरुआत से ही वह अपनी विपक्षी पार्टियों पर भारी पड़ती हुई दिखाई दी। इस समय भाजपा की अच्छी लीड लेती हुई दिखाई दे रही है। दिवाली से पूर्व जहां जीत का आंकड़ा 13 से 14 हजार के करीब माना जा रहा था, वह अब लगातार बढ़ता हुआ दिखाई देने लगा है। आदमपुर हलके की 26 साल बाद सत्ता में भागीदारी की बात मतदाताओं के सिर पर जादू की तरह चढ़ चुकी है। इसके चलते यहां पर भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई को अच्छा लाभ पहुंचता हुआ दिखाई देने लगा है। वहीं इस बार भाजपा के कार्यकर्ता दिन—रात एक करके इस जीत को ऐतिहासिक बनाने में जुटे हुए है। एक—एक घर में भाजपा के कार्यकर्ताओं की टोली पहुंच रही है। नाराज मतदाताओं को मनाने में जुटी है। सत्ता का लाभ पहुंचाने का भरोसा दिलाकर उनकी नाराजगी को दूर करने में लगी है। इसका सीधा असर अब धरातल पर दिखाई भी देने लगा है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता हैै कि अब आदमपुर का उपचुनाव भाजपा की झोली में करीब—करीब आ चुका है। कांग्रेस उसे सीधी टक्कर देने का प्रयास कर रही है, लेकिन भाजपा की प्रचार कार्यप्रणाली के आगे कहीं न कहीं कांग्रेस के संगठन की कमी अब नजर आने लगी है।