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फीस बढ़ाने से स्कूलों को न रोके सरकार: हाई कोर्ट

नई दिल्ली,
7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की खातिर प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट से ग्रीन सिग्नल मिल गया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह फीस न बढ़ाने के अपने फैसले पर फिलहाल अमल न करे। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने पिछले साल 17 अक्टूबर को इसी पे-कमिशन की सिफारिशें लागू करने के लिए इन स्कूलों को फीस बढ़ाने की इजाजत दी थी, लेकिन 13 अप्रैल 2018 को आदेश जारी कर इस मंजूरी को बैक डेट से वापस ले लिया था। यानी अगर किसी ने 17 अक्टूबर 2017 के बाद और 13 अप्रैल 2018 के बीच फीस बढ़ाई है, तो उसे लौटाना होगा। इसी आदेश को प्राइवेट स्कूलों ने कोर्ट में चुनौती दी। स्कूलों ने यह भी कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने में देरी से कई स्कूलों के टीचर नौकरी छोड़ सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा निदेशालय के फैसले को बैक डेट से लागू करना अनुचित है। 31 जुलाई को सुनवाई तक हमारा अंतरिम आदेश प्रभावी रहेगा।

दिल्ली के करीब 450 प्राइवेट स्कूलों की ऐक्शन कमिटी की ओर से दायर याचिका में दिल्ली सरकार के जिन दो सर्कुलर का जिक्र किया गया है, उनमें से एक इसी साल अप्रैल का है और दूसरा पिछले साल अक्टूबर का। अप्रैल में जारी सर्कुलर में दिल्ली सरकार ने सभी प्राइवेट स्कूलों से कहा था कि वे सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के नाम पर फीस न बढ़ाएं। शिक्षा निदेशालय का कहना था कि यह देखा गया है कि कई स्कूलों ने फीस बढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्रपोजल दिए थे मगर यह पाया गया कि उन्हें सातवें वेतन आयोग को लागू करने के लिए फीस बढ़ाने की जरूरत नहीं है। निदेशालय ने कहा है कि ये स्कूल अपने प्रपोजल को वापस ले लें। इसके लिए सरकार ने उन्हें 15 दिनों का वक्त दिया था।

पिछले साल 17 अक्टूबर को निदेशालय ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि टीचर्स के हक में स्कूल अंतरिम तौर पर 7.5% से 15% तक स्कूल फीस बढ़ा सकते हैं। इसके खिलाफ एनजीओ ‘जस्टिस फॉर ऑल’ ने अवमानना याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यह हाई कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है कि प्राइवेट स्कूल शिक्षा निदेशालय से मंजूरी लिए बिना फीस नहीं बढ़ा सकते हैं। इसके बाद सरकार ने 3 नवंबर को नया आदेश जारी कर कहा कि डीडीए लैंड पर चल रहे स्कूल को 30 नवंबर तक फीस बढ़ाने के लिए फीस हाइक प्रपोजल देना होगा और सभी फाइनैंशल रिकॉर्ड दिखाने होंगे।
याचिकाकर्ता कमिटी के वकील कमल गुप्ता ने कोर्ट में कहा कि सरकार ने जब एक बार स्कूलों से कह दिया कि वह फीस बढ़ा लें, तो बाद में उसी फीस को लौटाने के लिए नहीं कह सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार महज राजनीतिक लाभ उठाने के इरादे से स्कूलों को इस तरह से परेशान कर रही है।

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