नई दिल्ली,
कभी अंग्रेजों के गुलाम रहे भारत में आज भी उनके बनाए कई नियम चल रहे है। आजादी के 72 साल बाद भी उनमें कोई बदलाव नहीं हुआ। इसमें से एक मामला है भारतीय रेलवे का।भारतीय रेलवे में टिकट चेकिंग स्टाफ को आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारियों को ट्रेन में बर्थ देने और सहयोग करने के कारण अंग्रेजों ने रेलवे के टिकट चेकिंग कर्मचारियों को रनिंग स्टाफ श्रेणी से बाहर कर दिया था। इससे भत्ते व सुविधाएं छिन गईं। बाद में पाकिस्तान और बंग्लादेश ने अपने कर्मियों को रनिंग स्टाफ का दर्जा दे दिया पर भारत में अभी तक ये दर्जा नहीं मिला है।
टिकट चेकिंग स्टाफ 1968 से निरंतर रेल मंत्रियों से ब्रिटिशकालीन सजा को माफ कर उन्हें रनिंग स्टाफ का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। पर सुनवाई नहीं हो रही है। इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग ऑरगनाइजेशन (आईआरटीसीओ) के महासचिव महेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि भारतीय रेल में अब 36,700 से अधिक टिकट चेकिंग स्टाफ है। एसोसिएशन पिछले पांच दशकों से टिकट चेकिंग कर्मियों को रनिंग स्टाफ में शामिल करने के लिए रेल मंत्रियों को लिखित मांग की गई। लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। रेल मंत्रालय का अपना तर्क है कि ट्रेन परिचालन में टिकट चेकिंग कर्मियों की कोई भूमिका है। इसलिए रनिंग स्टाफ में शामिल नहीं किया गया है।
शिवसेना के सांसद हेमंत तुकाराम गोडसे ने 17 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टिकट चेकिंग कर्मचारियों को रनिंग स्टाफ का दर्जा देने के लिए पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि पाकिस्तान-बंगलादेश में टिकट चेकिंग कर्मियों को रनिंग स्टाफ का दर्जा दिया जा चुका है। लेकिन भारतीय रेल में इनकी मांग अभी तक नहीं मानी है।
1931 में रनिंग स्टाफ से बाहर किया
ब्रिटिशकाल में क्रांतिकारियों के बीच सूचनाएं आदान-प्रदान करने में टिकट चेकिंग स्टाफ सहायता करता था। इसलिए 1931 में टिकट चेकिंग कर्मियों को रनिंग स्टाफ श्रेणी से बाहर कर दिया गया। तब लोको पायलट और गार्ड एंग्लो इंडियन या अंग्रेज हुआ करते थे। जबकि भाषा की समस्या को देखते हुए ट्रेन में टिकट चेकिंग स्टाफ भारतीय होते थे। 1962 में पाकिस्तान और 2004 में बांग्लादेश में रेलवे के टिकट चेकिंग कर्मचारियों को रनिंग स्टाफ का दर्जा मिल गया।
भेदभाव जारी
ट्रेन के ड्राइवर-गार्ड को टिकट चेकिंग कर्मियों से वेतन के बेसिक का 30 फीसदी अधिक मिलता है। ड्राइवर और गार्ड रनिंग स्टाफ के कारण 10 घंटे ड्यूटी करते हैं। ट्रेन लेट होने पर उनके रिलीवर आ जाते हैं, जबकि चेकिंग कर्मियों के साथ ऐसा नहीं है। चेकिंग स्टाफ को 400-600 रुपये डीए मिलता है। ड्राइवर-गार्ड को टिकट चेकिंग कर्मचारियों से अधिक डीए मिलता है। ड्राइवर-गार्ड को 6000-8000 रुपये अधिक पेंशन मिलती है, दूसरी सुविधाओं में भी अंतर है।