नई दिल्ली,
बीते कुछ महीनों से रोजगार के मोर्चे पर भारत की चाल सुस्त पड़ गई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के हालिया आंकड़ों पर गौर करें तो अक्टूबर 2018 से संगठित क्षेत्र के रोजगार सृजन में औसतन 26 फीसदी की गिरावट आ रही है। हालांकि सिर्फ नवंबर 2018 में औसतन 1,262 नौकरियों की मामूली वृद्धि देखने को मिली है।
ईपीएफओ की ओर से सितंबर 2017 की अवधि से रोजगार सृजन के आंकडे़ जुटाए जा रहे हैं। ईपीएफओ की ओर से नवीनतम डाटा फरवरी के जारी किए गए हैं। सितंबर 2017 से फरवरी 2019 के बीच के इन आंकड़ों के स्टडी से पता चलता है कि रोजगार सृजन की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। बीते साल अक्टूबर में जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2017 से अगस्त 2018 के बीच 6.10 लाख प्रति माह नए रोजगार मिले। वहीं नवंबर में जब ईपीएफओ ने आंकड़ा जारी किया तो 1,262 नए रोजगार सृजन हुए।
हालांकि दिसंबर 2018 में जब ईपीएफओ ने आंकड़े जारी किए तो सितंबर 2017 से अक्टूबर 2018 के बीच नए रोजगार सृजन गिरकर 5.65 लाख प्रति माह पर आ गया। इसी तरह जनवरी 2019 में ईपीएफओ के जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2017 से नवंबर 2018 की अवधि में नए रोजगार सृजन लुढ़क कर 4.90 लाख प्रति माह पर पहुंच गया। वहीं फरवरी 2019 में ईपीएमओ की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर 2017-दिसंबर 2018 की अवधि में 4.52 लाख प्रति माह रोजगार सृजित हुए हैं। ईपीएफओ की मार्च 2019 के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2017-जनवरी 2019 के बीच भी रोजगार सृजन में फिसलन दर्ज की गई।
इस अवधि में 4,49,935 लाख प्रति माह नए रोजगार सृजित हुए हैं। वहीं नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि सितंबर 2017-फरवरी 2019 के बीच रोजगार सृजन गिरकर 4,49,261 प्रति माह पर पहुंच गया है। इस हिसाब से अक्टूबर 2018 के बाद रोजगार सृजन में लगभग 26 फीसदी की गिरावट आई है। मार्च में जारी ईपीएफओ की रिपोर्ट के मुताबिक 17 महीनों में देशभर में 76.48 लाख लोगों को रोजगार मिला।
क्या कहते हैं ईएसआईसी के आंकड़े
वहीं अगर कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के आंकड़ों की बात करें तो यहां भी रोजगार सृजन में कमी आई है। ईएसआईसी के कंपनियों के वेतन भुगतान (पेरोल) के आधार पर तैयार ताजा आंकड़ों के अनुसार इस साल फरवरी में रोजगार सृजन 1.73 फीसदी घटकर 15.03 लाख रहा जो एक साल पहले इसी महीने में 15.30 लाख था। आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2017 से फरवरी 2019 के बीच करीब 3 करोड़ नये अंशधारक ईएसआईसी योजना से जुड़े। बता दें कि ईएसआईसी अप्रैल 2018 से ‘पेरोल’ के आंकड़े जारी कर रहा है। इसके तहत सितंबर 2017 से आंकड़े दिये जा रहे हैं।
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