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सोना हुआ महंगा, 6 साल के उच्च स्तर पर पहुंचा—जानें कारण

नई दिल्ली,
गोल्ड की कीमत छह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वैश्विक बाजार और भारतीय बाजार में सोने की कीमत लगातार बढ़ रही है। सोना पिछले छह दिन से लगातार मजबूत हो रहा है।
मंगलवार को सोना लगातार छठे दिन मजबूत हुआ और हाजिर बाजार में प्रति 10 ग्राम 34,450 पर पहुंच गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर अगस्त एक्सपायरी सोने के कॉन्ट्रैक्ट में पिछले सत्र से 370 रुपये यानी 1.07 प्रतिशत तेजी के साथ 3,4811 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। सत्र के दौरान भाव 34,893 रुपये तक उछला। वैश्विक बाजारों की बात करें तो न्यूयॉर्क में गोल्ड प्रति औंस 0.53 फीसदी बढ़कर 1,428.05 डॉलर तक पहुंच गया और साल 2013 के बाद पहली बार इसने 1,400 डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार किया है।
ये हैं अंतरराष्ट्रीय वजह
असल में अमेरिका और ईरान के बीच भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिका-चीन में ट्रेड वॉर और वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती की वजह से अब निवेशक सुरक्षित संपत्तियों में दांव लगाने पर मजबूर हुए हैं। लोग शेयर बाजार की जगह अब गोल्ड जैसे सुरक्षित साधन पर भरोसा कर रहे हैं, इसकी वजह से सोने की कीमतें छह साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई हैं। इस मूल्यवान धातु की मांग पिछले सप्ताह तब बढ़ी जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया कि वह भविष्य में 2019 में फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठकों में ब्याज दर घटाएगा। अमेरिकी फेड के इस रुख से डॉलर कमजोर हुआ, जिसके कारण सोना सस्ता हो गया।
केडिया एडवायजरी की रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया है, ‘सोना लगातार महंगा बना हुआ है, और कीमतें छह साल के उच्चस्तर पर पहुंच रही हैं, क्योंकि कमजोर डॉलर, कारोबारी चिंताओं और बढ़ते अमेरिका-ईरान तनाव ने सोने को एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में बढ़ावा दिया है।’
वायदा बाजार में 35 हजार पार सोना
वायदा बाजार में अक्टूबर के कॉन्ट्रैक्ट के लिए सोना एक फीसदी चढ़कर प्रति 10 ग्राम 35,100 रुपये तक पहुंच गया। अगस्त कॉन्ट्रैक्ट के लिए सोना प्रति 10 ग्राम 34,893 रुपये पर कारोबार कर रहा था। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी रिसर्च हेड हरीश वी ने कहा, ‘मध्य पूर्व में तनाव और प्रमुख केंद्रीय बैंकों की नरम टिप्पणियों की वजह से पीली धातु की अपील बढ़ी है। लंदन के हाजिर बाजार में सोना करीब छह साल की ऊंचाई पर चल रहा है। कमजोर डॉलर और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संकेत ने इस माहौल को बनाने में और मदद की है।’

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