आदमपुर (अग्रवाल)
वो शिक्षा मूल्यहीन है जो राष्ट्रनिर्माण करने का कार्य न करे। छात्र आंदोलन के नाम पर राष्ट्र की छवि धूमिल करना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकासन पहुंचाना संस्कारहीनता की निशानी है। ये बात प्रणामी संत सदानंद महाराज ने बोगा मंडी में भागवत कथा के पहले दिन मंगलाचरण के दौरान कही। उन्होंने कहा जेएनयू में जो आजकल चल रहा है वह राष्ट्रहित में नहीं है। विद्यार्थियों के माता—पिता को बचपन से ही उन्हें संस्कारित बनाना चाहिए। सार्वजनिक संपत्ति का निर्माण आमजन के टैक्स से होता है। इसमें प्रत्येक देशवासी का योगदान होता है। ऐसे में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना राष्ट्रनिर्माण के कार्य में बाधा पहुंचाने के समान है। युवाओं को ऐसी गतिविधियों में भाग लेने से बचाना चाहिए।
वहीं धुंधकारी की कथा सुनाते हुए नाम की महिमा का विस्तार से व्यख्यान किया। प्रणामी संत ने कहा कि प्रत्येक सांस प्रभु नाम का सिमरण करना चाहिए। प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए कि गलती से भी हमसे कोई पापकार्य न हो। राम कथा के दौरान उन्होंने कहा कि रामराज्य स्थापित होने की परिकल्पना तभी सार्थक होगी जब आमजन अपना निजी स्वार्थ छोड़कर राष्ट्र को अग्रिम रखे। इस दौरान सेवाभाव के महत्व को समझाते हुए कहा कि मानव जीवन मिट्टी के खिलौने के समान है। ऐसे में इस जीवन के उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए दीन—दु:खियों की सेवा में स्वयं को समर्पित कर दो।
इस दौरान प्रणामी संत ने गौसेवा को भगवान श्रीकृष्ण की पूजा बताते हुए रोजाना अपनी कमाई से एक हिस्सा गौमाता के लिए निकालने की अपील की। उन्होंने कहा गौमाता की सेवा से सभी प्रकार के संताप दूर हो जाते है और जीवन में सुख—समृद्धि का स्थायी वास हो जाता है। इस अवसर पर मा.गुलाब सिंह शर्मा, मा.छोटूराम खिचड़, रामबिलाश गोयल, भालसिंह, अशोक सीसवालिया, मामराज मिश्रा, गोपाल सिवानी वाले, अनिल बंसल, सुभाष शर्मा, वैद्यनाथ, नवीन सीए, सत्यवान, वरुण सदलपुरिया सहित काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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