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GST : जाने क्या हुआ सस्ता और क्या हुआ महंगा

नई दिल्ली
जीएसटी काउंसिल ने रविवार को आम उपयोग की वस्तुओं और अन्य जरूरी चीजों पर टैक्स रेट घटा दिया। काउंसिल ने कारोबारियों के लिए उस स्कीम में टर्नओवर लिमिट भी बढ़ा दी, जिसमें कम कंप्लायंस की जरूरत पड़ेगी। साथ ही, काउंसिल ने ऑडिट ऐंड अकाउंट्स से जुड़े कई नियमों को मंजूरी भी दी।

राष्ट्रीय राजधानी में हुई बैठक में काउंसिल ने अचार, सॉसेज, फ्रूट प्रिजर्वेटिव्स, इंसुलिन, काजू गिरी, स्कूल बैग, कलरिंग बुक्स, नोटबुक्स, प्रिंटर्स, कटलरी, ट्रैक्टर के टायर, अगरबत्ती और सिनेमा टिकट जैसे 66 आइटम्स पर रेट्स में बदलाव किया। ऐसा इंडस्ट्री से पिछली मीटिंग में तय किए गए रेट्स को रिवाइज करने की सिफारिश के बाद किया गया। 75 लाख रुपये तक टर्नओवर वाले रेस्ट्रॉन्ट्स, मैन्युफैक्चरर्स और ट्रेडर्स कंपोजिशन स्कीम का लाभ ले सकेंगे, जिसमें रेट्स क्रमश: 5, 2 और 1 प्रतिशत होगी। इसमें कंप्लायंस भी कम होगा। पहले टर्नओवर की लिमिट 50 लाख रुपये रखी गई थी। टेक्सटाइल्स और जेम्स ऐंड जूलरी सेक्टरों में मैन्युफैक्चरिंग या जॉब वर्क की आउटसोर्सिंग पर 5 पर्सेंट जीएसटी लगेगा। मानव बाल की ब्लीचिंग और सफाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह मिदनापुर में एक बड़ा उद्योग है। ‘महंगाई पर लगाम’
काउंसिल के अध्यक्ष वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं को बताया, ‘फिटमेंट कमिटी की सिफारिशों पर गौर करने के बाद 66 आइटम्स पर टैक्स रेट्स घटाए जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘133 प्रतिवेदन मिले थे। इन पर गइराई से विचार कया गया।
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जेटली ने कहा, ‘हमारी ओर से तय सभी रेट्स का वेटेड ऐवरेज आज जो हम लोग टैक्स चुका रहे हैं, उसके मुकाबले काफी कम है।’ उन्होंने कहा कि अगर बाकी चीजों में बदलाव नहीं आया तो राजस्व के मामले में नकारात्मक असर पड़ेगा, ‘लेकिन हम राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद भी कर रहे हैं। उम्मीद है कि महंगाई पर लगाम कसेगी और जीएसटी से हमारे नुकसान की भरपाई हो जाएगी।’

इनके रेट्स कम
पैकेज्ड फूड कैटिगरी में अचार, मस्टर्ड सॉस, केचप, फ्रूट प्रिजर्व्स और सैंनविच टॉपिंग्स जैसी चीजों को 18 पर्सेंट टैक्स रेट कैटिगरी में रखा गया था, लेकिन रविवार को तय किया गया कि इन पर 12 पर्सेंट टैक्स लगेगा।
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पहले प्रस्तावित 12 पर्सेंट के बजाय अगरबत्ती पर 5 पर्सेंट टैक्स लगाने का निर्णय किया गया। स्कूल बैग्स पर 28 पर्सेंट के बजाय 18 पर्सेंट और एक्सरसाइज बुक्स पर 18 के बजाय 12 पर्सेंट टैक्स लगेगा। कलरिंग बुक्स पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इस पर पहले 12 पर्सेंट टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया था। स्टील कटलरी पर 18 पर्सेंट के बजाय अब 12 पर्सेंट और कंप्यूटर प्रिंटर्स पर 28 के बजाय 18 पर्सेंट टैक्स लगेगा। फ्लाई ऐश से बनी ईंटों और ब्लॉक्स पर 12 पर्सेंट टैक्स लगेगा।

100 रुपये से कम के सिनेमा टिकटों पर 18 पर्सेंट जीएसटी लगेगा जबकि इससे ज्यादा कीमत के टिकटों पर 28 पर्सेंट टैक्स लिया जाएगा। जेटली ने कहा, ‘कन्ज्यूमर्स को रेट्स घटने से फायदा होगा।’ उन्होंने कहा कि राज्य चाहें तो रीजनल सिनेमा पर स्टेट जीएसटी को रिफंड कर सकते हैं, लेकिन सेंट्रल जीएसटी में छूट नहीं दी जा सकती है।

पीडब्ल्यूसी में लीडर (इनडायरेक्ट टैक्स) प्रतीक जैन ने कहा, ‘यह उत्साहजनक बात है कि सरकार ने इतने कम समय में रेट्स पर इंडस्ट्री के सभी प्रतिवेदनों पर विचार कर लिया और उनमें गिनाए गए आइटम्स में से करीब 50 पर्सेंट पर रेट्स को घटाया या बदल दिया।’

GST काउंसिल की अगली मीटिंग 18 को
टेक्सटाइल्स और जेम्स ऐंड जूलरी सेक्टरों में वर्कर्स घर से भी काम करते हैं। काम की ऐसी आउटसोर्सिंग के मामले में 18 पर्सेंट के स्टैंडर्ड रेट के बजाय 5 पर्सेंट टैक्स लगेगा। जेटली ने कहा कि काउंसिल की अगली मीटिंग 18 जून को होगी, जिसमें बाकी मुद्दों पर निर्णय किया जाएगा। इनमें लॉटरी और ई-वे बिल्स के टैक्सेशन के मसले शामिल हैं। ई-वे बिल का मामला राज्यों के बीच गुड्स के ट्रांसपोर्ट से जुड़ा है। अधिकारियों की एक कमिटी एंटी-प्रॉफिटियरिंग लॉ के लिए मैकेनिज्म को अंतिम रूप देने में जुटी है।

रेवेन्यू सेक्रटरी हसमुख अधिया ने कहा कि रूल्स की ड्राफ्टिंग को जल्द पूरा कर उसकी जानकारी काउंसिल को देने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘यह किसी भी समय किया जा सकता है। इसका संबंध जीएसटी लागू होने की तारीख से नहीं है। हालांकि हम जल्द से जल्द इसे पूरा करने की कोशिश करेंगे।’1 जुलाई से लागू करने की तैयारी
राज्यों और केंद्र के स्तर पर लगने वाले कई करों की जगह पहली जुलाई से जीएसटी लागू करने की तैयारी है। इंडस्ट्री के कुछ हिस्सों से इसे लागू करने की तारीख खिसकाए जाने की मांग की गई थी, लेकिन सरकार इसमें और देर नहीं करना चाहती है।
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जेटली ने कहा, ‘इसे किसी भी तारीख से लागू किया जाए, कुछ लोग तो कहेंगे कि वे तैयार नहीं हैं। इसलिए ऐसे लोगों के लिए तैयार होने के अलावा और कोई विकल्प अब नहीं है।’ अधिया ने कहा कि इंडस्ट्री ने योजना बनानी शुरू कर दी है ताकि जीएसटी को तय समय से लागू किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘ट्रांजिशन रूल्स इतने नरम किए गए हैं कि किसी को भी डीस्टॉकिंग या स्टॉकिंग में दिक्कत नहीं होगी। हमें नहीं लगता कि मार्केट में किसी कमोडिटी की तंगी पैदा होगी।’

काउंसिल ने जीएसटी नेटवर्क पर टैक्सपेयर्स के इनरोलमेंट के लिए अतिरिक्त वेरिफिकेशन सुविधाएं शुरू करने की इजाजत दी। इसमें वन टाइम पासवर्ड और बैंकिंग वेरिफिकेशन शामिल हैं। कुछ राज्यों के वित्त मंत्रियों ने जीएसटी को देर से लागू करने पर भी जोर दिया। वेस्ट बंगाल के फाइनेंस मिनिस्टर अमित मित्रा ने कहा, ‘मैंने कहा है कि 1 जुलाई से लागू करना बेहद मुश्किल दिख रहा है। इसे जुगाड़ से लागू नहीं किया जा सकता है। छोटे कारोबारियों को स्प्रेडशीट भरनी होगी, जिसे फिर सॉफ्टवेयर प्रोसेसिंग से अपलिंक किया जाएगा।’

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Jeewan Aadhar Editor Desk