धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—269

पुराने समय में एक गरीब व्यक्ति बहुत परेशान रहता था। वह गरीबी दूर करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल रही थी। एक दिन वह हिम्मत हार गया और निराश रहने लगा। कुछ दिनों के बाद उसे एक संत मिले।

युवक ने संत को अपनी सारी परेशानियां बताई तो संत ने उससे कहा कि इस तरह निराश नहीं होना चाहिए। प्रयास करना बंद मत करो। ये बात सुनकर व्यक्ति ने कहा कि मैं हार चुका हूं और अब मैं कुछ नहीं कर सकता।

संत को समझ आ गया कि ये व्यक्ति नकारात्मक विचारों में उलझ गया है। तब संत ने उससे कहा कि मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। कहानी से तुम्हारी निराशा दूर हो जाएगी। कहानी के अनुसार एक छोटे बच्चे ने एक बांस का और एक कैक्टस का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों की बराबर देखभाल करता। कई महीने बीत गए। कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा था।

बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी और वह दोनों की देखभाल करता रहा। इसी तरह कुछ महीने और निकल गए, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा था। बच्चा निराश नहीं हुआ और उसने पौधे को पानी देना जारी रखी। कुछ महीनों के बाद बांस पौधा भी पनप गया और कुछ ही दिनों में वह कैक्टस के पौधे से भी बड़ा हो गया।

संत ने उस व्यक्ति से कहा कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़ें मजबूत कर रहा था, इसीलिए उसे पनपने में थोड़ा समय लगा। हमारे जीवन में जब भी संघर्ष आए तो हमें हमारी जड़ें मजबूत करनी चाहिए, निराश नहीं होना चाहिए। वह युवक संत की बात समझ गया और उसने एक बार फिर से पूरे उत्साह के साथ काम करना शुरू कर दिया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, जैसे ही हमारी जड़ें मजूबत हो जाएंगी, हम तेजी से हमारे लक्ष्य की ओर बढ़ने लगेंगे। तब तक धैर्य रखना चाहिए।

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Jeewan Aadhar Editor Desk