भागचंद की धर्मपत्नी भाग्यवती की आदत थी सबकी निंदा करने की। उसे निंदा करना काफी अच्छा लगता था। निंदा करते हुए वह अपनी बात में झूठ का तड़का लगाना भी नहीं भूलती थी। बात को इतना बढ़ा—चढ़ाकर पेश करती कि सामने वाला उसकी बात पर यकीन भी कर लेता।
एक बार उसने अपने पड़ोस में अकेले रहने वाली डाक्टर साहिबा की निंदा करते हुए काफी अशब्द बोले। उसके लिए इतना जहर आसपड़ोस में फैलाया कि मौहल्ले के लोग उस डाक्टर से बात करने भी बचने लगे। डाक्टर साहिबा को आते देख लोग रस्ता बदल लेते थे। लेकिन डाक्टर साहिबा को इस सबकी भनक तक नहीं थी। वह सुबह 8 बजे अपनी ड्यूटी पर चली जाती देर शाम तक ही वापिस लौटती।
पड़ोसी लोग डाक्टर साहिबा के बारे में तरह—तरह की बात करते रहे। भाग्यवती उसमें तगड़ा तड़का लगाती और चटकारे लेकर सबको नए—नए किस्से गढ़कर सुनाती। ऐसा लगातार चलता रहा। इसी दौरान एक रात भाग्यवती के पेट में भयानक दर्द हो गया। सभी घरेलू उपचार करने पर भी सुधार नहीं आया। देर रात भाग्यवती की हालत काफी बिगड़ने लगी तो भागचंद ने हिम्मत करके पड़ोसी डाक्टर साहिबा के घर का दरवाजा खटखटाया। आधी रात को डाक्टर साहिबा उठकर बाहर आई तो भागचंद ने भाग्यवती की हालत के बारे में बताया।
डाक्टर साहिबा तुरंत भाग्यवती को देखने पहुंची तो वहां पर सभी पड़ोसियों का जमघट लगा था। डाक्टर साहिबा को देखते ही सब कानफूसी करने लगे। डाक्टर साहिबा ने भाग्यवती का चेकअप किया और 2 इंजेक्शन लगाए्ं। कुछ ही देर में उसकी हालत में सुधार हो गया। अगले दिन भाग्यवती बिल्कुल ठीक हो चुकी थी।
अब भाग्यवती डाक्टर साहिबा के बारे में फैलाई गई मनगढ़त कहानियों पर शर्मिंदा थी। वह शर्मिंदगी के साथ अपने गुरु के दरबार पहुंची और हाथ जोड़कर पूरी बात बताते हुए कहा कि वह अब अपनी सभी मनगढ़त बातों को वापिस लेना चाहती है। इसके लिए मार्गदर्शन करें। गुरु ने कहा ठीक है—तुम कल आना। लेकिन जाते समय टोकरी में रखा प्रसाद उठाकर ले जाना। रस्ते में जो भी मिले उसे प्रसाद बांटती जाना। भाग्यवती ने ऐसा ही किया।
अगले दिन भाग्यवती गुरु दरबार में पहुंची। उसने हाथ जोड़कर कहा— हे गुरुदेव! मेरी समस्या का समधान बताईएं। गुरु ने कहा—ओह! तेरी समस्या ज्यदा गंभीर नहीं है। बस एक काम करना है, कल टोकरी से जिस—जिस को प्रसाद बांटा था उनसे वो प्रसाद वापिस ले आओं। भाग्यवती एकदम से बोल उठी—ये कैसे हो सकता है गुरुदेव! प्रसाद तो काफी लोगों को बांटा था और प्रसाद लेते ही सभी खा गए।
गुरुदेव बोले— ऐसे ही तुमने जो कहानियां लोगों को सुनाई, वो उनके दिलोदिमाग पर छप गई। अब वो वहां से कैसे हटेगी। एक आदमी से वो कहानी दूसरे के पास और दूसरे से तीसरे के पास जाते हुए वह पूरे गांव में फैल गई। इसलिए भाग्यवती अब इसका पश्चाताप करते हुए तुम्हें प्रतिज्ञा लेनी होगी कि आगे से कभी भी किसी की निंदा नहीं करोगी और किसी के बारे में कोई अपशब्द या झूठ ना सुनोगी और ना ही आगे फैलाने का काम करोगी। सारा दिन घर का काम करोगी और खाली समय में प्रभु के नाम का सिमरन करोगी।
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, किसी के बारे बुरी बातें फैलाना काफी आसान है लेकिन उस बातों को वापिस समेटना असभंव है। झूठी बातें और चुगली—निंदा वो लोग करते हैं जो खाली होते हैं। जिनके पास समय नहीं होता वे इस प्रकार के कार्यों में कभी शामिल नहीं होते। इसलिए अपने गृहकार्यों को करने के बाद अपना समय सदा प्रभु के ध्यान में ही व्यतीत करना चाहिए। इससे आपका कल्याण होगा।