धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—416

एक बार किसी साधु महात्मा को राह चलते एक आदमी ने गालियाँ दी। उस महात्मा ने बिना परेशान हुए उन बातों को तब तक सुना जब तक वह आदमी बोलते-बोलते थक न गया।

तब उन्होंने उस आदमी ने पूछा अगर किसी की दी हुई चीज़ न ली जाये तो वह चीज़ किसके पास रहेगी? आदमी ने जवाब दिया कि चीज देने वाले के पास ही रह जाएगी।

महात्मा ने कहा, मैं तुम्हारी इस देन को लेने से इंकार करता हूँ और वह उस आदमी को हक्का-बक्का और हैरान हो गया। उसे अपने गलती का अहसास हुआ तो उसने साधु के पैर पकड़कर क्षमा मांगी।

धर्म प्रेमी सुंदरसाथ जी, बगैर इजाजत के कोई आपको हीन महसूस नहीं करा सकता। उस महात्मा का खुद पर अंदरूदी कण्ट्रोल था। इसके चलते उसने आदमी की गालियों का जवाब नहीं दिया। जिससे आदमी की गालियां महत्वहीन हो गई। साधु के इस व्यवहार से आदमी को ही वापिस लज्जित होना पड़ा।

Shine wih us aloevera gel

Related posts

आशो : गुरु और शिष्य

स्वामी राजदास : तुम सेवा से पाओगे पार

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—28

Jeewan Aadhar Editor Desk