धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 602

एक दिन महाकवि कालिदास एक नगर से दूसरे नगर जा रहे थे। रास्ते में उन्हें प्यास लगी। वहीं उन्हें एक कुआं दिखाई दिया, वहां गांव की एक महिला पानी भर रही थी। कालिदास ने महिला से कहा कि मुझे प्यास लगी है, कृपया पानी दीजिए। महिला ने कहा कि मैं आपको नहीं जानती हूं, कृपया अपना परिचय दें। इसके बाद मैं पानी दे दूंगी।

कालिदास को अपने ज्ञान पर घमंड था, उन्होंने अपना नाम न बताते हुए कहा कि मैं मेहमान हूं। महिला बोली कि आप मेहमान कैसे हो सकते हैं, संसार में सिर्फ दो ही मेहमान हैं, एक धन और दूसरा यौवन।

गांव की महिला से बात सुनकर कालिदास हैरान रह गए। उन्हें उस महिला से ऐसी बात की उम्मीद नहीं थी। वे फिर बोले कि मैं सहनशील हूं। महिला ने कहा कि आप सहनशील नहीं है, इस संसार में सिर्फ दो ही सहनशील हैं। एक ये धरती जो पापी और पुण्यात्माओं का बोझ उठाती है। हमें खाने के लिए अनाज देती है। दूसरे सहनशील पेड़ हैं, जो पत्थर मारने पर भी फल ही देते हैं।

कालिदास ने फिर कहा कि मैं हठी हूं। महिला बोली कि आप फिर झूठ बोल रहे हैं। हठी दो ही हैं। एक हमारे नाखून और दूसरे बाल। इन्हें बार-बार काटने पर भी फिर से बढ़ जाते हैं। महिला से ऐसी ज्ञान वाली बातें सुनकर कालिदास हार मान गए और बोले कि मैं मूर्ख हूं। इस पर महिला ने कहा कि मूर्ख भी दो ही हैं। एक राजा जो बिना योग्यता के भी सब पर राज करता है। दूसरे दरबारी जो राजा को खुश करने के लिए गलत बात पर भी झूठी प्रशंसा करते हैं।

अब कालिदास महिला के चरणों में गिर पड़े और पानी के याचना करने लगे। तभी महिला ने कहा उठो वत्स। कालिदास ने ऊपर देखा तो वहां देवी सरस्वती खड़ी थीं। देवी ने कहा कि शिक्षा से ज्ञान मिलता है, न कि घमंड। तूझे अपने ज्ञान का घमंड हो गया था। इसीलिए तेरा घमंड तोड़ने के लिए मुझे ये सब करना पड़ा। कालिदास को अपनी गलती पर पछतावा होने लगा। उन्होंने देवी से क्षमा याचना की। देवी प्रसन्न होकर अंतर्ध्यान हो गईं। इसके बाद उन्होंने कभी भी घमंड नहीं किया।

Shine wih us aloevera gel

https://shinewithus.in/index.php/product/anti-acne-cream/

Related posts

स्वामी राजदास : सत्संग और तपस्या

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—86

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—80

Jeewan Aadhar Editor Desk