हिसार

सुविधाएं छिनने व खर्चे बढ़ने की आशंका से घबराए आदमपुर गांव के निवासी

डीसी से मिलकर सौंपा ज्ञापन, नगरपालिका में शामिल करने का विरोध

आदमपुर,
हरियाणा सरकार द्वारा गांव आदमपुर, सदलपुर, मंडी आदमपुर, जवाहर नगर व खारा बरवाला क्षेत्र को मिलाकर एक नगरपालिका का गठन किए जाने का गांव आदमपुर के ग्रामीणों ने विरोध किया है। इस संबंध में गांव के सैंकड़ों लोगों ने उपायुक्त से मिलकर उन्हें अपनी आपत्ति से अवगत करवाते हुए ज्ञापन सौंपा।
ग्रामीणों का कहना है कि हमारे पूर्वजों ने हमारी आने वाली पीढिय़ों के लिए पंचायत भूमि व गोचरण भूमि छोड़ी थी, नगरपालिका बनने से उस पर हमारे गांव के अलावा अन्य क्षेत्र के लोगों का भी कब्जा हो जाएगा जो हमारे साथ न्याय नहीं है। जिन 5-6 गांवों के रकबों को जोडक़र नगरपालिका बनाए जाने का प्रस्ताव है वहां पर ज्यादातर लोग घनी आबादी में न रहकर एक बहुत बड़े क्षेत्र में खेतों में ढाणियां बनाकर रहते हैं जिससे अगर नगरपालिका बनती है तो उसका क्षेत्र विस्तृत हो जाएगा और आबादी लगभग 50 हजार लोगों की होगी जिससे इतने बड़े क्षेत्र के विकास की कोई संभावना नहीं होगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह एक विनाशकारी कदम होगा। हमारे गांव की खेती, ग्रामीण व्यवसाय, पशुपालन,वन्य जीवों, पेड़-पौधों आदि के लिए भी नगरपालिका अनुकूल नहीं है जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं। नगरपालिका बनने से मनरेगा जैसे गरीब आदमी के रोजगार के साधन भी बंद हो जाएगा जो इनके लिए बड़ी हानि होगी। इस योजना के जरिये खेतों के नाले/रास्तों को पक्का बनना भी बंद हो जाएगा। हमारे गांव आदमपुर के अधिकतर लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर है तथा पशुपालन मुख्य सहायक व्यवसाय है अन्य गैर कृषि व्यवसाय नाममात्र ही है जो कि शहरीकरण से इन पर कुप्रभाव पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्र में नगरपालिका बनने से अनेक तरह के टैक्स जैसे कि गृहकर, फायर टैक्स, विकास शुल्क, संपत्ति कर आदि लागू हो जाएंगे और कोई भी कार्य करने से पहले कई प्रकार के अनापत्ति प्रमाण पत्र आदि लेने पड़ेंगे। आम जनमानस जिसमें कि बहुसंख्यक कृषि व मजदूर वर्ग है उनको बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ेगा व उन पर आर्थिक बोझ भी बढ़ाएगा।
नगरपालिका क्षेत्र में पशुपालन प्रतिबंधित है जबकि हमारे गांव का पूरा कृषक समुदाय पशुपालन व कृषि पर ही आधारित है। देखने में आया है जहां-जहां नगरपालिका के माध्यम से शहरीकरण बढा है वहां-वहां विकास के नाम पर मूल निवासियों को खदेड़ा गया है, मूल व्यवसाय खत्म हुए हैं जैसे पशुपालन, डेयरी व कृषि कार्य, प्राकृतिक संसाधन जैसे जोहड़, तालाब, कुआं आदि विलुप्त हुए है। हमारे गांव की भी सैंकड़ों एकड़ पंचायती व गोचरण भूमि पर नगरपालिका का कब्जा हो जाएगा। हमारे गांव के अधिकतर लोग अपने खेतों में मकान बनाकर अपने पशुओं के साथ प्राकृतिक जीवन जीकर गुजर-बसर कर रहे हैं लेकिन शहरीकरण से उनके इस जीवन पर काफी बुरा असर पड़ेगा। हरियाणा सरकार बार-बार घोषणाएं करती है कि गांवों को शहरों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा तो फिर गांव को नगरपालिका का स्वरूप देने का क्या औचित्य है। नगरपालिका बनने से हम सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों को दी जाने वाली अनेक सुविधाओं व योजनाओं से वंचित हो जाएंगे। हमारी पृष्ठभूमि सैंकड़ों वर्षों से ग्रामीण रही है आगे भी इसी में रहकर खुश है। नगरपालिका के तीन तरफ की सीमा को खेतों तक विस्तारित करना व एक तरफ की सीमा को शहर से सटाकर ही छोड़ देना पक्षपात का संशय पैदा करता है, इसलिए यह भी दूर किया जाए।
इस अवसर पर सरपंच अंतर सिंह, पूर्व सरपंच कृष्ण सेठी भांभू, पंचायत समिति सदस्य नरषोत्तम मेजर, वीर सिंह राहड़, बिश्नोई सभा के प्रधान कैलाश चंद्र ज्याणी, सुधीर काकड़, सहीराम सिंवर, कृष्णलाल बैनीवाल, पूर्व पंच जगदीश चंद्र, कृपाराम वर्मा, फकीरचंद थालोड़, सुशील बैनीवाल, पूर्व पंच रामकुमार, राजाराम छिंपा पंच, डॉक्टर वेदपाल चालिया, सियाराम वर्मा, सुशील नंबरदार, ईश्वर, सुनील बैनीवाल पंच, कपिल खीचड़, जगदीश खीचड़, सुभाष थालोड़ व पालाराम करीर सहित कई ग्रामवासी उपस्थित थे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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