धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 583

पुराने समय में एक राजा के दरबार में एक विद्वान और परिचित संत पहुंचे। संत जीवन के प्रति गहन जीवनदृष्टि रखते थे। राजा संत का बहुत सम्मान करता था और उन्हें अपने निकटतम लोगों में मानता था।

संत दरबार में आए तो राजा ने आदरपूर्वक खड़े होकर उनका स्वागत किया। संत ने हाथ उठाकर राजा को आशीर्वाद दिया– “आपके शत्रु चिरंजीवी हों।”

ये बात सुनते ही सभी दरबारी हैरान हो गए। राजा के चेहरे पर भी हैरानी और असंतोष के भाव थे। दरबार के कई मंत्री, जो उस संत से ईर्ष्या करते थे, ये दृश्य देखकर प्रसन्न हो गए। उन्हें लगा कि अब राजा इस संत को दरबार से निकाल देंगे, लेकिन राजा ने अपने गुस्से पर संयम रखते हुए कुछ नहीं कहा।

संत ने स्थिति को समझते हुए कहा, “महाराज, क्षमा करें। मैंने आपको कुछ दिया, लेकिन आपने उसे स्वीकार नहीं किया।”

राजा ने आश्चर्यचकित होकर पूछा, “आपने मुझे क्या दिया?”

संत बोले, “राजन्, मैंने आपको आशीर्वाद दिया, लेकिन आपने उसे लेने से इनकार कर दिया।”

राजा ने गंभीर स्वर में कहा, “मैं ऐसा आशीर्वाद कैसे ले सकता हूं, जिसमें आपने मेरे शत्रुओं की दीर्घायु की कामना की है?”

संत मुस्कुराए और बोले– “महाराज, यही आशीर्वाद आपके राज्य और आपके लिए कल्याणकारी है। जब तक आपके शत्रु जीवित रहेंगे, आप सदा सचेत रहेंगे। आपकी बुद्धि, पराक्रम और सावधानी बनी रहेगी। आपको हर निर्णय सोच-समझकर लेना होगा। शत्रु आपका सामना करेंगे तो आप अपने सामर्थ्य को और विकसित करेंगे, लेकिन जिस दिन आपके शत्रु नहीं रहेंगे, आप लापरवाह हो सकते हैं। तब कोई अनजान संकट आपको हानि पहुंचा सकता है।”

राजा इस बात को गहराई से समझ गए। उन्होंने मुस्कराते हुए संत के आशीर्वाद को स्वीकार किया और उनके ज्ञान को नमन किया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, चुनौतियां ही जीवन की असली शिक्षक हैं। जब तक जीवन में बाधाएं, विरोध, या कठिनाइयां रहती हैं, हम स्वयं को सक्रिय, सतर्क और सीखने के लिए तत्पर रखते हैं। यही मुश्किलें हमारी योग्यता को निखारती हैं, ठीक वैसे ही जैसे आग में तपकर सोना अपनी चमक पाता है।
यदि सब कुछ सहज और सरल हो जाए, तो मनुष्य सुस्त हो जाता है। प्रगति वहीं होती है, जहां संघर्ष है। हर कठिनाई हमें बेहतर बनने का अवसर देती है।
इसलिए जीवन में जब भी समस्याएं आएं, उन्हें शत्रु न मानें, बल्कि उन्हें अपने विकास का जरिया समझें, क्योंकि सच्ची सफलता उन्हीं को मिलती है, जो अड़चनों से घबराते नहीं, बल्कि उन्हें पार करने का साहस रखते हैं।

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