दिल्ली,
सिले-सिलाए परिधानों (रेडीमेड गारमेंट) और जूते-चप्पलों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर बढ़ सकती है। शुक्रवार को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में व्युत्क्रम (इन्वर्टेड) शुल्क ढांचे में बदलाव पर विचार हो सकता है। इसका मकसद कर ढांचे में खामियों को दूर करना और बेजा रिफंड पर रोक लगाना है।
परिषद को कर में बदलाव करने की सिफारिश करने वाली फिटमेंट समिति ने जूते-चप्पलों (1,000 रुपये से कम कीमत वाले) और रेडीमेड परिधानों एवं कपड़ों पर कर मौजूदा 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि कुछ कच्चे माल जैसे कि मानव निर्मित फाइबर और धागों पर जीएसटी दर 18 से घटाकर 12 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया गया है।
व्युत्क्रम शुल्क ढांचे की जरूरत तब होती है जब कच्चे माल पर जीएसटी दर तैयार उत्पाद से ज्यादा हो। ऐसे में ज्यादा इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया जाता है। पंजीकृत करदाता कच्चे माल पर ज्यादा और तैयार माल पर कम कर होने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकता है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘व्युत्क्रम कर ढांचे में सुधार की जरूरत है क्योंकि इससे विनिर्माताओं के पास नकदी की समस्या होती है। कई मामलों में जमा इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड योग्य नहीं होता है जैसे कि पूंजीगत वस्तुओं और इनपुट सेवाओं के मामले में। इसके साथ ही ज्यादा रिफंड दावे से सरकार को भी समस्या आती है।’ उन्होंने कहा कि व्युत्क्रम कर ढांचे से आयात प्रतिस्पर्धी होती है जबकि घरेलू इकाइयों को इससे नुकसान होता है।
1,000 रुपये तक कीमत वाली जूते-चप्पल 5 फीसदी जीएसटी दायरे में आते हैं लेकिन इसमें लगने वाली तली, चिपकाने वाली सामग्री, कलर आदि पर 18 फीसदी कर लगता है, जिसकी वजह से यहां व्युत्क्रम कर ढांचा लागू होता है। इसके अलावा चमड़े पर 12 फीसदी कर लगता है।
इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना होता है और सरकार को रिफंड जारी करना पड़ता है। जूते-चप्पल के मामले में सरकार को सालाना करीब 2,000 करोड़ रुपये रिफंड देना पड़ता है। जूते-चप्पलों, परिधान और उर्वरक पर शुल्क ढांचे में बदलाव पिछले साल जून में ही किया जाना था लेकिन कोरोना महामारी की वजह से उसे टाल दिया गया था।
सिले-सिलाए परिधानों पर जीएसटी से पहले करीब 13.2 फीसदी कर लगता था जो अब 5 फीसदी लगता है। कपड़ों पर 5 फीसदी जबकि धागे आदि पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। शुरुआत में सरकार ने कपड़ा विनिर्माताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की अनुमति नहीं दी थी लेकिन जुलाई 2018 में रिफंड की अनुमति दे दी गई।