धर्म

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स्वामी राजदास : खुशामद बड़े-बड़ों को ले डूबती है!

भगवान कृष्ण के समय में चरणाद्रि चुनाव में पोंएड्रक नाम राजा शासन करता था। उसके दरबारी बड़े खुशामदी थे। वे कहते थे-आप का साक्षात भगवान...
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सत्यार्थ प्रकाश के अंश-04

ब्रह्मचर्य तीन प्रकार का होता है कनिष्ठ- जो पुरूष अन्नरसमय देह और पुरि अर्थात् देह में शयन करने वाला जीवात्मा, यज्ञ अर्थात् अतीव शुभ गुणों...
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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—66

Jeewan Aadhar Editor Desk
कई कहते हैं कि गुरू तो परमात्मा है। नहीं पंच र्भाैतिक शरीर वाला कोई भी परमात्मा नहीं हो सकता, हाँ परमात्मा की ओर जाने वाले...
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स्वामी राजदास : भक्ति में भावना की प्रधानता

Jeewan Aadhar Editor Desk
चैतन्य महाप्रभु जब जगन्नाथ पुरी से दक्षिण की यात्रा पर जा रहे थे तो उन्होंने एक सरोवर के किनारे कोई ब्राह्मण गीता पाठ करता हुआ...
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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—65

Jeewan Aadhar Editor Desk
धर्म प्रेमी सज्जनों! यह संसार समुद्र है अपने जीवन का मन्थन करो। मन को मंदराचल पर्वत बनाओ और प्रेम की डोर से उसको मथो तो...
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सत्यार्थप्रकाश के अंश—02

Jeewan Aadhar Editor Desk
जिन पुरूषों का मन विद्या के विलास में तत्पर रहता, सुन्दर शील स्वभाव युक्त, सत्यभाषणादि नियम पालनयुक्त और अभिमान अपवित्रता से रहित, अन्य की मलीनता...