धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—367

एक अत्यंत गरीब महिला थी जो भगवान श्रीकृष्ण पर अटूट विश्वास करती थी। एक बार उसकी स्थिति बेहद दयनीय हो गई। घर में खाने पीने के लिए कुछ नहीं था। कई दिनों से परिवार भूखा था। परिवार की ये हालत उससे देखी नहीं जा रही थी। फिर एक दिन उसने अपनी व्यथा रेडियो के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण तक पहुंचाई और उनसे मदद करने की विनती की।

रेडियो का वो प्रसारण एक घमंडी नास्तिक और अहंकारी उद्योगपति ने सुना और उसने सोचा कि क्यों न इस महिला के साथ कुछ ऐसा मजाक किया जाए कि उसकी श्रीकृष्ण के प्रति आस्था ही डगमगा जाए। उसने अपने सेक्रेटरी को कहा कि ढेर सारा खाना और महीने भर का राशन, उस महिला के घर पर देकर आओ और जब वो महिला पूछे, कि ये किसने भेजा है, तो कह देना कि शैतान ने भेजा है।

जब सेक्रेटरी महिला के पास सामान पहुंचाने गई तो पहले उसके परिवार ने तृप्त होकर भोजन किया। फिर, वो सारा राशन अलमारी में रखने लगी। उसने एक बार भी सेक्रेटरी से ये नहीं पूछा कि राशन किसने भेजा? ये देखकर सेक्रेटरी से रहा नहीं गया। तब उसने महिला से कहा कि क्या आपको इस बात की कोई उत्सुकता नहीं है कि ये राशन आपके पास किसने भेजा है?

उस महिला ने जवाब दिया कि मैं आखिर इतना क्यों सोंचूं? मुझे मेरे श्रीकृष्ण पर पूरा भरोसा है। जब मेरा कृष्ण किसी को आदेश देता है तो बड़े से बड़े शैतानों को भी उसके आदेश का पालन करना पड़ जाता है। वो जो भी करेगा, अच्छा ही करेगा।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, आप किसी भी हालात में क्यों न हों, ईश्वर पर अपना अटूअ भरोसा कायम रखें। आपके जीवन में जो कुछ भी आपको मिला है, वो आपके ही कर्मों का नतीजा है। लेकिन जब भी आपको उस ईश्वर की जरूरत होगी और उसे दिल से याद करेंगे तो वो आपकी मदद किसी न किसी रूप में जरूर करेंगे।

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