हरियाणा

यूनियनों की एकजुटता पर निर्भर 8200 कर्मचारियों का नियमितीकरण, महानिदेशक के पत्र ने डाला आंदोलन की आग में घी

हिसार(राजेश्वर बैनीवाल)
प्रदेश के परिवहन आयुक्त द्वारा नियुक्ति तिथि से पक्का किये गये 8200 चालकों-परिचालकों को पुन: अनियमित किये जाने के पत्र ने पहले से ही आंदोलन की राह पर चल रहे प्रदेश के रोडवेज कर्मचारियों के आंदोलन की आग में जहां घी डालने का काम किया है, वहीं रोडवेज यूनियनों की फिर से अग्नि परीक्षा शुरू हो गई है। इसके साथ ही फैसला करवाने वाली व फैसले का विरोध करने वाली यूनियनों का अलग-अलग रवैया सामने आना भी शुरू हो गया है। आंदोलन की सफलता यूनियनों की एकजुटता पर निर्भर है वहीं यदि एकजुटता का अभाव रहा तो 8200 कर्मचारियों के नियमितीकरण पर कैंची चल सकती है।
जी हां, हाल में परिवहन महानिदेशक द्वारा जारी पत्र ने रोडवेज कर्मचारियों के आंदोलन की आग में घी डाल दिया है। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि जिन 8200 चालकों-परिचालकों को नियुक्ति तिथि से पक्का किया गया था, उन्हें नियुक्ति तिथि की बजाय पॉलिसी के अनुसार ही पक्का किया जाएगा। साथ ही राज्य के महाधिवक्ता व माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने समान काम-समान वेतन का आदेश दिया था, न कि ऐसे कर्मचारियों को पक्का करने का। दूसरी तरफ यूनियनों का कहना है कि जिस समय तक माननीय सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया था, उस समय तक तो उनका सरकार के साथ फैसला हो चुका था। हुड्डा शासन के समय हुए इस समझौते को भाजपा सरकार के परिवहन मंत्री बने कृष्णलाल पंवार से बातचीत के बाद सिरे चढ़ाया गया था। नौकरी करना चाहते है, तो यहां क्लिक करे।
प्रदेश में हुड्डा शासन के समय जब रोडवेज कर्मचारियों ने 8200 चालकों-परिचालकों को नियुक्ति तिथि से पक्का करने सहित अन्य मांगों के लिए संघर्ष किया तो यूनियनों की यह प्रमुख मांग मान ली गई थी। मानी गई मांग के अनुसार जो कर्मचारी इन 8200 में शामिल हैं, वे एरियर न लेने का शपथ पत्र देकर अदालत से अपना केस वापिस ले लेंगे और ऐसा होने के बाद सरकार उन्हें नियुक्ति तिथि से पक्का कर देगी। बताया जाता है कि उस समय के आंदोलन में शामिल 8 यूनियनों में से 7 ने सरकार से हुए इस फैसले पर संतुष्टि जताई थी परंतु एक यूनियन ने एरियर सहित पक्का करने की बात रखते हुए फैसले का विरोध किया था। बताया जाता है कि उक्त यूनियन ने फैसले की प्रतियां जलाते हुए यहां तक कह दिया था कि उसे यह फैसला किसी कीमत पर मंजूर नहीं है। यही नहीं, उक्त यूनियन ने रोडवेज यूनियन के एक प्रदेश स्तरीय नेता पर सरकार के हाथों बिक जाने तक का आरोप जड़ दिया था। बताया जाता है कि उस समय बातचीत में शामिल रहे प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री रणदीप सुरजेवाला ने विरोध करने वाली यूनियन को यहां तक कह दिया था कि इससे बढिय़ा कोई समझौता नहीं हो सकता और यदि इसको नहीं मानोगे तो पछताना पड़ सकता है। मंत्री की बात सही भी साबित हुई, इस यूनियन के बहकावे में आकर जिन चालकों-परिचालकों ने शपथ पत्र नहीं दिये थे, वे आज भी कच्चे हैं जबकि बाकी चालक-परिचालक पक्के हो गये थे। रोडवेज सूत्रों के अनुसार यूनियन के बहकावे में आकर कच्चे रह गये कर्मचारियों की संख्या 300 से 400 के बीच है।
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हाल में परिवहन महानिदेशक ने पत्र जारी करके जब इन चालकों व परिचालकों को नियुक्ति तिथि से पक्का मानने से इनकार कर दिया था तो अब यूनियनों की भौहें भी तनी है और उन्होंने आंदोलन का ऐलान कर दिया है। यूनियनों ने निजी बसों व अन्य मुद्दों पर पानीपत में बैठक करके 28 दिसम्बर को चक्का जाम का ऐलान किया है वहीं उन्होंने यह भी चेतावनी दे रखी है कि यदि इन चालकों-परिचालकों को कच्चा करने का आदेश जारी किया गया तो किसी भी समय चक्का जाम हो सकता है। इसके साथ ही रोडवेज तालमेल कमेटी 24 नवम्बर को डिपो स्तर पर धरना देने का ऐलान किया हुआ है, वहीं ऑल हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी ने इस धरने को समर्थन दे रखा है।
विरोध करने वाली यूनियन ने बदले लिए सुर
सरकार से हुए समझौते के समय इन कर्मचारियों को नियुक्ति तिथि से पक्का किये जाने के फैसले का विरोध करने वाली व फैसले की प्रतियां जलाने वाली यूनियन के सुर अब बदले गये हैं। पिछले दो दिनों से उक्त यूनियन के नेता कर्मचारियों के पास मोबाइल वट्सअप पर मैसेज भेजकर महानिदेशक के इस फैसले को कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़कने जैसा बताकर निर्णायक संघर्ष करने की बात कही है। यूनियन की इस दोगली नीति की दो दिनों से कर्मचारियों में खासी चर्चा है। कर्मचारियों का कहना है कि यूनियन की कौन सी बात सही है। इस यूनियन के नेताओं से भी कर्मचारी जवाब मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं सूझ रहा है।
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