धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 614

पुराने समय में एक राजा अपने मंत्री की किसी बात से बहुत नाराज हो गया। उसने मंत्री को फांसी पर चढ़ाने की सजा दे दी। राजा ने सैनिकों से कहा कि जाओ आज शाम मंत्री को फांसी पर लटकाना है, इसकी सूचना मंत्री को दे आओ।

राजा के सैनिक मंत्री के घर के पहुंचे। सभी ने घर को चारों ओर से घेर लिया और कुछ सैनिक घर के अंदर गए। वहां मंत्री और उसके रिश्तेदार, मित्र उत्सव मना रहे थे। क्योंकि मंत्री का जन्मदिन था।

सैनिकों ने मंत्री और वहां सभी लोगों को राजा का आदेश बताया। ये सुनते ही सभी उदास हो गए। लेकिन, मंत्री ने सभी को समझाया कि हमारे आज शाम तक का तो समय है ही, हमें हर एक पल को उत्साह के साथ जीना चाहिए।

मित्र और परिवार के लोग निराश थे, लेकिन मंत्री की बात मानकर फिर से उत्सव मनाने लगे। ये बात सैनिकों ने राजा को बताई तो राजा भी आश्चर्यचकित रह गया। उसने तुरंत ही मंत्री को बुलवाया।

राजा ने मंत्री से कहा कि क्या तुम पागल हो गए हो, आज शाम तुम्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा और तुम उत्सव मना रहे हो। मंत्री ने कहा कि राजन् आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने मुझे शाम तक समय तो दिया। अब मैं शाम तक अपने परिवार के साथ रह सकूंगा। अगर मैं निराश होकर बैठ जाऊंगा तो परिवार के साथ रहने का ये समय बर्बाद हो जाएगा। इसीलिए मैं शाम तक का एक-एक पल उत्साह और खुशी के साथ ही बिताना चाहता हूं।

ये बात सुनकर राजा बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि जो व्यक्ति जीवन के हर एक पल की कद्र करता है, उसे मृत्युदंड देना उचित नहीं है। उसने मंत्री की सजा माफ कर दी।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमें जीवन के पल-पल का मूल्य समझना चाहिए। निराशा से बचें और खुश होकर जीवन जीना चाहिए।

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