धर्म

स्वामी राजदास : किसका मंदिर, किसकी मस्जिद?

मैंने सुना है, एक गुरू ,एक दोपहर गर्मी की दोपहर सोया। उसके दो शिष्य थे। दोनों सेवा करना चाहते थे, क्योंकि सुना था सेवा से मेवा मिलता है। तो गुरू ने कहा ठीक है सेवा करो। गुरू तो सोया, दोनों ने गुरू को आधा-आधा बांट लिया। कि बांया पैर मैं सेवा करूंगा, दाया पैर तू सेवा करना। और गुरू को कुछ पता नहीं है। नींद में गुरू ने करवट ले ली, बाएं पैर पर दाया पैर पड़ गया। जिसका बांया पैर था, उसने दूसरे से कहा, हटा ने अपने पैर को। देख हटा ले। मेरे पैर पर तेरा पैर पड़ गया, यह बर्दास्त के बाहर है। 3 महिने नौकरी करो और सालभर वेतन लो, अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
उसने कहा: देख लिए हटाने वाले। देख लिए तेरे जैसे हटाने वाले। हो हिम्मत तो हटा ले। अगर मेरा पैर भी छुआ, आज गरदनें कट जाएंगी।
दोनों ने डंडे उठा लिए। उनकी आवाज शौरगुल सुनकर गुरू की नींद खुल गई। उसने आंख बंद पड़े-पड़े सारा मामला समझा कि मामला क्या है। वह तो डंडे उठा कर पिटाई करनी है- गुरू की पिटाई। क्योंकि उसका पैर मेरे पैर पर चढ़ गया। गुरू ने कहा कि हद हो गई, ये दोनों पैर मेरे हैं। तुमसे किसने कहा? तुमने बांटे कैसे? तुम हो कौन इसकी मालकियत करने वाले? जीवन आधार नवंबर माह प्रतियोगिता.. प्ले ग्रुप से दसवीं तक विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीतेंगे सैंकड़ों उपहार.. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
यह सारा अस्तित्व उसका है, लेकिन बांट बैठे है। हिन्दू जा कर मस्जिद में आग लगा देते हैं, मुसलमान जा कर मंदिर की मूर्तिया तोड़ देते हैं। किसकी मूर्ति, किसका मंदिर, किसकी मस्जिद?
दोऊ दीन ने झगड़ा मांडेव ,पायो सरौर।…. इनके झगड़े के कारण परमात्मा का अवतरण नहीं हो पाता है। यह पृथ्वी परमात्मा-पूर्ण नहीं हो पाती है।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

ओशो : का सोवे दिन रैन-229

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : अहंकार और पद

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—316