धर्म

ओशो : का सोवे दिन रैन-229

मैंने सुना, मुल्ला नसरूद्दीन अपने गधे पर बैठकर बाजार से निकल रहा था। एक-दम तेजी से चला जा रहा था। लोगों ने कहा:नसरूद्दीन , कहां जा रहे हो? उसने कहा:मुझसे मत पूछो, गधे से पूछो। क्योंकि इस गधे क ेसाथ बड़ी हुज्जत होती है। अगर मैं इसको कहीं ले जाना चाहता हूं तो बीच बाजार में अड़ जाता है, इधर-उधर जाने लगता है। उससे बड़ बदनामी होती है। लोग कहते हैं, तुम्हारा गधा है मुल्ला और तुम्हीं से नहीं मानता। तो मंैने अब एक तरकीब सीख ली है। जब निकलता हूं, लगाम छोड़ देता हूं। इससे कहता हूं, बेटा चल जहां जाए, बाजार में वहीं मुझे ले चल। मगर बाजार में प्रतिष्ठा तो रहे कि मेरा गधा मुझे मान कर चलता है। 3 महिने नौकरी करो और सालभर वेतन लो, अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
नेता हमेशा अनुयायी के पीछे चलता है। तुम जो कहो, नेता उसी को जोर से चिल्लाता है। नेता देखता रहता है पीछे लौट-लौट कर कि तुम किस तरफ जा रहे हो, जल्दी से उचक कर तुम्हारे आगे हो जाता है। वही होशियार नेता कहलाता है। उसी को राजनीतिज्ञ कहते हैंं, जो देख ले समय के पहले , हवा बदलने वाली है। वह नई हवा पर सवार हो जाए। वह पुराना ही रट लगाए रखे तो कोई ज्यादा समझदार नेता नहीं है। जनता ही चली गई, वे अकेले ही रह गए। वे चिल्ला रहे हैं,कोई सुनने वाला नहीं है। चूक गए। जीवन आधार नवंबर माह प्रतियोगिता.. प्ले ग्रुप से दसवीं तक विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीतेंगे सैंकड़ों उपहार.. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
नेता को समय की नरख होना चाहिए। मगर नेता नेता नहीं होता,धोखा है नेता।
सद्गुरू कोई नेता नहीं है, राजनीतिज्ञ नहीं है। सद्गुरू तुम क्या मानते हो, उसको कह कर नहीं तुम्हें राजी कर लेता। सद्गुरू को जैसा दिखायी पड़ता है वैसा कहता है। फिर तुम्हें चोट लगे ,तुम नाराज होओ, तो होओ सूली चढ़ाओ तो चढ़ाओ, तुम जहर पिलाओ तो पिलाओ। मगर सद्गुरू के साथ ही होओगे तो रूपान्तरण है। जो तुम्हारे साथ हो गए हैं, जो साधु-संन्यासी, महात्मा तुम्हारे पीछे चल रहे हैं, उनसे तुम्हारे जीवन में क्या क्रंाति हो सकती है?…. कपट-कतरनी पेट में मुख वचन उचारी। कुछ कहता है और भीतर कुछ और है।
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Jeewan Aadhar Editor Desk

सत्यार्थप्रकाश के अंश—50