जो द्रव्य और गुण का समान जातीयक कार्य का आरम्भ होता है उस को साधम्र्य कहते हैं। जैसे पृथिवी में जड़त्व धर्म और घटादि कार्योत्पादकत्व स्वसदृश धर्म है वैसे ही जल में भी जडत्व और हिम आदि स्वसदृश कार्य का आरम्भ पृथिवी के साथ जल का और जल के साथ पृथिवी का तृल्य धर्म है। अर्थात् द्रव्य गुणयोर्वितजातीयारम्भकत्व वैधम्र्यम् वह विदित हुआ कि जो द्रव्य और गुण का विरूद्ध धर्म और कार्य का आरम्भ है उस को वैधम्र्य कहते हैं। जैसे पृथिवी मैं कठिनत्व, शुष्कत्व और गन्धवत्तव धर्म जल के विरूद्ध और जल का द्रवत्व, कोमलता, और रसगुणयुकत्ता पृथिवी से विरूद्ध है।
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