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INS कलवरी नौसेना में शामिल, PM बोले- हिंद महासागर में बढ़ेगा दम

नई दिल्ली,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आईएनएस कलवरी को देश को समर्पित कर दिया। आईएनएस कलवरी के रूप में 17 साल बाद देश को नया सबमरीन मिला है। इससे समंदर में भारत की ताकत बढ़ गई है। यह सबमरीन दुश्मन के नापाक मंसूबों को नाकाम करने की ताकत रखता है। आइए जानते हैं कि आईएनएस कलवरी के भारतीय नौसेना में शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की स्थिति कैसे और मजबूत हो जाएगी।
आईएनएस कलवरी करीब दो दशकों में भारत को मिला पहला नया डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है। इससे नौसैना की ताकत बढ़ी है क्योंकि इस समय सेना के पास केवल 13 पारंपरिक सबमरीन हैं। गहरे समंदर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर सबमरीन का नाम INS कलवरी रखा गया है। दिसंबर 1967 में भारत को पहला सबमरीन रूस से मिला था। यह स्कॉर्पिन श्रेणी की उन 6 पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी है, जिसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना है। पार्ट टाइम नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।

फ्रांस ने की मदद
फ्रांस के सहयोग से सबमरीन प्रॉजेक्ट-75 (23, 652 करोड़ रुपये) के अंतर्गत इसे बनाया गया है। इसका वजन 1565 टन है। स्कॉर्पिन प्रॉजेक्ट में काफी देर हो चुकी है और खर्च भी बढ़ गया। फ्रेंच शिपबिल्डर DCNS के साथ अक्टूबर 2005 में इसको लेकर करार हुआ था। अधिकारियों का कहना है कि भले ही आईएनएस कलवरी में देर हुई हो पर अब यह समंदर में युद्ध की हर एक कला में पारंगत है। जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
अब दूसरी INS Khanderi 2018 के मध्य में भारतीय नौसेना में शामिल होगी। जबकि तीसरी INS Karanj 2019 की शुरुआत में मिलेगी। 20 नॉट्स की स्पीड वाला सबमरीन SM-39 Exocet ऐंटी-शिप मिसाइल और टॉरपीडो से लैस है। स्टील्थ तकनीक के कारण यह चकमा देकर दुश्मन पर गाइडेड हथियारों से हमला करने में भी सक्षम है। इसका काम दुश्मन के व्यापार और ऊर्जा मार्गों पर नजर रखना, अपने क्षेत्र को ब्लॉक करना और युद्धक उपकरणों की रक्षा करना है। जरूरत पड़ने पर दूर तक मार कर सकने की क्षमता के कारण इसके जरिए दुश्मन पर अटैक भी किया जा सकता है।
अभी और जरूरत
पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों से बढ़ती चुनौती को देखते हुए भारत को कम से कम 18 डीजल-इलेक्ट्रिक और 6 परमाणु न्यूक्लियर अटैक सबमरीन्स की जरूरत है। इस समय भारत के बेड़े में 13 डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं, जो 17 से 32 साल पुराने हैं। हालांकि इनमें से केवल 7 या 8 ही एक समय पर ऑपरेशनल रहते हैं। भारत के पास 1 परमाणु ऊर्जा से संचालित बलिस्टिक मिसाइल सबमरीन INS अरिहंत है, जो 750 किमी तक परमाणु मिसाइलें छोड़ सकता है। एक ऐसी परमाणु संचालित अटैक सबमरीन INS चक्र भी भारत के पास है, जो नॉन-न्यूक्लियर क्रूज मिसाइलों से लैस है। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
चीन, पाक और अमेरिका के पास
चीन के पास 56 सबमरीन हैं। इनमें से 5 JIN श्रेणी की परमाणु ऊर्जा से संचालित सबमरीन है, जो परमाणु बलिस्टिक मिसाइल से लैस है। इस पर लैस JL-2 मिसाइलें 7400 किमी तक मार कर सकती हैं। उधर, पाकिस्तान के पास 5 डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं जबकि उसे चीन से 8 और सबमरीन मिलने वाले हैं। अमेरिका के पास 72 न्यूक्लियर सबमरीन है। रूस के पास 40 से ज्यादा, यूके व फ्रांस के पास 8-12 सबमरीन है।
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