धर्म

ओशो : झुकने की कला

जिसकी गली में ,जिस के आसपास,जिसके सान्निध्य में,स्वर्ग की तुम्हें पहली दफा थोड़ी-सी झलक मिले, एक क्षण को सही,एक क्षण को पर्दा हटे-वही सदगुरू। जिसके पास यह घटना घट जाये,वहीं झूक जाना। फिर फ्रिक मत करना कि वह हिन्दू है कि मुसलमान कि जैन कि ईसाई। फिर फ्रिक मत करना। चूकना मत ऐसा अवसर। असली सवाल तो झुकने की कला है,किसके पास झुके,यह उतना महत्वपूर्ण नहीं हैं,जितना झुके।जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
ऐसी घटनाएं है इतिहास में कि कभी-कभी कोई व्यक्ति ऐसे व्यक्ति के पास झुक गया, जिसको अभी खुद भी नहीं मिला था, लेकिन उसका झुकाव इतना परिपूर्ण था कि गुरू को नहीं मिला था, लेकिन शिष्य को मिल गया। झुकने की वजह से मिल गया। और ऐसा भी हुआ है कि बड़े से बड़े सद्गुरू के पास लोग रहे हैं और नानक के पास रहे और कबीर के पास रहे और अपनी अकड़ से भरे और कुछ भी न मिला। पार्ट टाइम नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
तो कभी-कभी ऐसा भी हुआ है कि वृक्षों के सामने झुक गये आदमी को मिल गया है,पत्थरों के सामने झुक गये आदमी को मिल गया है-और बुद्धों के पास कोई बैठा रहा और नहीं झुका, तो नहीं मिला। इसलिये एक बात खयाल रखना:सार की बात हैं झुकना। गुरू तो केवल एक निमित मात्र हैं, उसके बहाने झुक जाना। उसके बहाने झुकने में आसानी होगी। झुकने के लिए जो भी बहाना मिल जाये,चुकना ही मत। समझदार का यही काम है। जहां झुकने का बहाना मिल जाये झुक जाना। और अगर तुम झुकने के लिए बहाने खोजो तो अनत बहाने हैं। किसी सुंदर स्त्री को देख कर झुक जाना,क्योंकि सब सौंदर्य उसी का सौंदर्य है। किसी खिलखिलाते बच्चे को देख कर झुक जाना क्योंकि सब खिलखिलाहट उसकी है। किसी खिले हुए फूल को देख कर झुक जाना,क्येंकि जब भी कहीं कुछ खिलता है वही खिलता है,उसके अतिरिक्त कोई है ही नहीं। सूरज के सामने झुक जाना,क्योंकि सब रोशनी उसकी है।जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
इस देश में इसीलिए तो सूरज भी देवता हो गया,चांद भी देवता हो गया, बादलों के भी देवता हो गये। बिजली चमकी तो उसका भी देवता हो गया, इसके पीछे बड़ा राज है,राज है: हमने झुकने के कोई निर्मित नहीं छोड़े। आकाश में बिजली चमकी,हमने वह बहाना भी नहीं छोड़ा,हमने घुटने टेक दिये जमीन पर,हम अपनी प्रार्थना में लीन हो गये। बिजली चमक रही थी। भौतिकवादी दृष्टि का आदमी कहेगा:क्या पागलपन कर रहे हो,बिजली बिजली है इसके सामने क्या झुक रहे हो?
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