1954 में आज ही के दिन बॉस्टन में दो जीवित लोगों के बीच पहला सफल किडनी प्रत्यारोपण हुआ। इस प्रत्यारोपण को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए डॉक्टर जोसेफ मरे को 1990 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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23 दिसंबर को हुआ यह प्रत्यारोपण दो एक जैसे जुड़वां भाइयों रोनाल्ड हेरिक और रिचर्ड हेरिक के बीच हुआ था, जो एक ही जाइगोट या युग्मज के विकास से पैदा हुए थे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि दाता की किडनी को ग्राही शरीर अस्वीकार न करे। किडनी ग्रहण करने वाले रिचर्ड हेरिक प्रत्यारोपण के बाद आठ साल तक जीवित रहे।
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इससे पहले 17 जून 1950 को अमेरिका में पहला किडनी प्रत्यारोपण किया गया लेकिन 44 साल की रूथ टकर के शरीर ने 10 महीनों के अंदर ही किडनी को अस्वीकार कर दिया था। प्रत्यारोपण की सफलता के लिए शरीर में बाहरी अंग के लिए प्रतिरोधन को दबाने की तकनीक का इस्तेमाल जरूरी होता है। लेकिन उस समय तक यह (इम्यूनो सप्रेसिव) उपाय विकसित नहीं हुआ था। 1958 में पहली बार प्रत्यारोपण में इम्यूनो सप्रेसिव उपाय का इस्तेमाल किया गया।
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