धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 681

एक गाँव में गोपीनाथ नाम का किसान रहता था। उसके पास अच्छा खेत था, गायें थीं, परिवार भी था, फिर भी वह हमेशा दुखी रहता।

कभी कहता—“बारिश ठीक नहीं हुई।”
कभी—“बेटा नहीं मानता।”
तो कभी—“लोग मेरी कद्र नहीं करते।”

एक दिन गाँव में संत अवधूत बाबा पधारे। गोपीनाथ भी उनके दर्शन करने गया और हाथ जोड़कर बोला— “महाराज, मैंने बहुत पूजा-पाठ किए, मेहनत की, पर मन को सुख नहीं मिला।
कृपा कर बताइए, सुख की प्राप्ति कैसे हो?”

संत मुस्कुराए। उन्होंने पास रखे मिट्टी के दीपक को उठाया और बोले— “बेटा, इस दीपक में घी है, बाती है, पर जब तक आग नहीं लगती, यह प्रकाश नहीं देता। इसी तरह तेरे जीवन में भी सब साधन हैं, पर प्रकाश भीतर की चिंगारी से ही आता है।”

गोपीनाथ बोला—“वह चिंगारी कहाँ से लाऊँ महाराज?”

संत बोले— “वह चिंगारी तेरे विचारों में छिपी है। तू हमेशा दुनिया को दोष देता है—बारिश को, लोगों को, किस्मत को। जिस दिन तू ‘धन्यवाद’ कहना शुरू करेगा, उसी दिन सुख का दीपक जल जाएगा।”

फिर संत ने कहा— “हर सुबह जब सूरज उगे, तो एक बात बोलना— ‘आज का दिन मेरा उपहार है।’ और रात में बोलना—‘आज जो मिला, उसके लिए मैं आभारी हूँ।’ बस यही तेरे भीतर के दीपक का स्विच है।”

गोपीनाथ ने वैसा ही करना शुरू किया। धीरे-धीरे उसका चेहरा चमकने लगा। लोग कहते—“गोपीनाथ पहले झगड़ालू था, अब मुस्कुराता रहता है।”

एक दिन किसी ने पूछा— “भाई, अब तू इतना शांत कैसे हो गया?”
गोपीनाथ मुस्कुरा कर बोला— “पहले मैं सुख बाहर ढूँढता था, अब भीतर दीपक जला लिया है।”

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, सुख तब नहीं आता जब हालात बदलें, सुख तब आता है जब मन की दिशा बदलती है। जो हर स्थिति में आभार देखना सीख लें — उसके भीतर का दीपक कभी बुझता नहीं।

Shine wih us aloevera gel

https://shinewithus.in/index.php/product/anti-acne-cream/

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-643

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-217

ओशो : व्यर्थ चिंतन

Jeewan Aadhar Editor Desk