सच्चे समाजसेवी..तुझे सलाम!

शारीरिक, मानसिक व सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ चिकित्सक लड़ रही जंग

आदमपुर,
नर सेवा को नारायण सेवा मानकर चिकित्सक मधु बिश्नोई समाज में बढ़ती नशाखोरी, पर्दा प्रथा, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जंग लड़ते हुए उनको दूर करने का सार्थक प्रयास कर रही है। जनजागरूकता के लिए अपने लक्ष्य के साथ-साथ खुद को बिश्नोई समाज की पहली कथा वाचिका के तौर पर साबित किया है। राजस्थान के जिला जालौर की तहसील भीनमाल निवासी डा.मधु बिश्नोई ने गांव आदमपुर में पत्रकार वार्ता में बताया कि एक उद्देश्य के साथ वह बिश्नोई समाज के संस्थापक भगवान गुरु जम्भेश्वर के 29 नियमों की आचार संहिता जन-जन तक पहुंचाने के लिए करीब 2 साल पहले अप्रैल महीने में प्रथम कथा जोधपुर जिले की फलौदी तहसील के गांव जैसला में की। समाज में चिकित्सक के रूप में मानव सेवा करने की चाह में बी.ए.एम.एस. की पढ़ाई पूरी की और आयुर्वेदिक ग्रन्थों का अध्ययन भी किया। जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
जाम्भाणी हमें पर्यावरण का संरक्षण करना सिखाती हैं और आयुर्वेद भी पर्यावरण पर आधारित हैं। जिससे दोनों का आपस में तालमेल सरलता से हो जाता है। सामाजिक रीति रिवाजों के कारण पहली बार कथा वाचन में बहुत सी अड़चनों का सामना करना पड़ा क्योंकि पहले बिश्नोई समाज में महिला या लडक़ी कथावाचक नहीं थी। जहां समाज में बेटियों को घर से बहार जाने की इजाजत भी नहीं है और पर्दा प्रथा का प्रचलन बहुत ज्यादा है। पहले कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए डाक्टर बनने की ख्वाहिश पूरी की, जिसमें माता-पिता ने उसका पूरा सहयोग दिया। समाज में बढ़ती युवाओं की नशाखोरी ने मन को विचलित कर दिया। जिसके बाद कथा के माध्यम से युवाओं और महिलाओं को जागरूक करने बीड़ा उठाया। नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंधक बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
बचपन से ही स्कूल के मंच पर अपने विचार कविताएं बोलने का शौक था। आसपास के क्षेत्र में होने वाली कथाओं में भी भजन गाया करती थी। बार-बार मंच पर बोलने से अभ्यास हो गया और इसका श्रेय गुरुजनों व माता-पिता का आशीर्वाद ही है। उन्होंने बताया कि बिश्नोई धर्म के 29 नियम जीवन जीने की कला सिखाते है जो ‘जिया न जुगति मरया न मुक्ति’ अर्थात जो जीवन के रहते जीने की कला सिखाते हैं और मरने के बाद मोक्ष को पाते है।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

सब्जी बेचकर गरीबों के लिए बनाया अस्पताल, मिलेगा पद्मश्री सम्मान

गौ सेवा के लिए जेब खर्च भी लगा रहे ये युवा

कूड़े में खोज रहे थे जिंदगी..मनकीत कौर ने दिखाया जिंदगी का असली मकसद