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एक शिक्षिका की लग्न ने बदल दिया राजकीय प्राथमिक पाठशाला का नजारा

आदमपुर (अग्रवाल)
ढ़ाणी मोहब्बतपुर का राजकीय प्राथमिक पाठशाला अन्य स्कूलों से कुछ अलग है। इस स्कूल में ​कक्षाओं के साथ—साथ शॉप भी है और बैंक भी है। शॉप में बच्चे पैसा खर्च करना सीख रहे है तो बैं​क के माध्यम से पैसों की बचत करना सीख रहे है।

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दरअसल, राजकीय प्राथमिक पाठशाला में बनी शॉप और बैंक जेबीटी टीचर पूनम यादव द्वारा अपनाई गई शिक्षा पद्धति का हिस्सा है। बच्चों को पढ़ाई के प्रति आकर्षित करने और उन्हें रोचक विधि से शिक्षा देने के लिए पूनम यादव ने व्यवहारिक शिक्षा पद्धति को स्कूल में लागू कर दिया।
इस पद्धति से स्कूल में आने वाले बच्चों की हाजिरी में इजाफा हुआ है। साथ ही बच्चों की दिनचर्या में भी खासा परिवर्तन हो गया है। शिक्षिका पूनम यादव की अनूठी सोच ने छोटी उम्र में ही बच्चों को धन कमाने, खर्च करने व जमा का तरीका सिखा दिया है। कक्षा में बैंक खुलने से बच्चे नियमित रूप से स्कूल आने लगे है।

जीवन आधार न्यूज पोर्टल से बातचीत के दौरान पूनम यादव ने बताया कि उन्होंने अनुशासनात्मक तरीकों को अंकों में तबदील किया है। जैसे समय पर स्कूल पहुंचने, साफ-सुथरी ड्रैस पहनने, होम वर्क करने, कक्षा में अनुशासन से रहने व शत-प्रतिशत हाजिरी के लिए अलग-अलग श्रेणी बनाई है जिसको पूरा करने पर प्रतिदिन बच्चों को अंक दिए जाते है। प्रत्येक शनिवार को जितने अंक विद्यार्थियों ने अर्जित किए है उसके अनुसार बच्चों को कक्षा में ही बनी दुकान से जरुरत का सामान दे दिया जाता है। जैसे पैन, पैंसिल, जुराबे, जूते, बैग, स्वेटर, कार्ड बोर्ड, ज्यौमेट्री बॉक्स आदि शामिल है। यहां तक की कक्षा के अंदर चल रहे बैंक को बच्चे ही संभाल रहे है। प्रतिदिन अर्जित अंकों को बच्चे अपने-अपने खाते में जमा करवाते है। जिसके बदले उन्हें ब्याज भी मिलता है।

अंकों पर छपवा रखे है स्लोगन
बच्चों को प्रतिदिन मिलने वाले कार्ड के अंक 1, 2, 5, 10, 20, 50 व 100 है। सभी अंकों पर क्यू.आर. कोड दिया गया है। जिसको स्कैन करने पर विवरण देखा जा सकता है। बच्चों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक कार्ड पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत, अच्छी शिक्षा-उच्च शिक्षा, सत्यमेव जयते, सब पढ़े-सब बढ़े, अतिथि देवो भव: आदि स्लोगन छपवाए है। अभिभावकों का कहना है कि इस तरह की अनोखी प्रक्रिया से बच्चों में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। छुट्टी के बाद खेलने से पहले अपना होमवर्क पूरा करते है। इस तरह की प्रणाली से शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को बचत करने, फिजुलखर्ची पर रोक लगाने और मेहनत की कमाई का महत्व जान रहे है।
फार्मूले से हुआ 70 फीसदी सुधार
शिक्षिका पूनम यादव ने बताया कि इस अनूठी प्रणाली के लिए उनके पति आदमपुर बहुतकनीकी संस्थान में फूड टैक्नोलॉजी विभाग में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत वेदपाल यादव का अहम योगदान है। उन्होंने बताया कि अनोखे बैंक ने कमाल कर दिया है। कुछ समय बाद ही बच्चों की स्कूल की दिनचर्या में 70 फीसदी सुधार हो गया है। ग्रामीण भी इस प्रक्रिया की काफी सराहना कर रहे है।

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