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महात्मा गांधी ने दिया अपना अंतिम भाषण

12 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी ने अपना अंतिम भाषण दिया और सांप्रदायिक हिंसा के विरुद्ध अनशन में बैठने का फैसला किया। 1947 में भारत के विभाजन से बहुत दुखी थे।
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माना जाता है कि गांधी का यही भाषण और इसके बाद अनशन उनकी हत्या का कारण बने। 12 जनवरी को उन्होंने दिल्ली में ऐलान किया कि वह अगले दिन से अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि वह अलग अलग समुदायों के बीच दोस्ती देखना चाहते हैं, खास तौर से हिंदुओं, मुस्लिमों और सिखों के बीच। जीवन आधार जनवरी माह की प्रतियोगिता में भाग ले…विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीत सकते है हर माह नकद उपहार के साथ—साथ अन्य कई आकर्षक उपहार..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
1947 में भारत और पाकिस्तान अलग हो गए। पाकिस्तान से कई हिंदू और सिख परिवारों को अपने गांव और शहर छोड़कर भारत आना पड़ा जबकि कई मुस्लिम परिवारों ने पाकिस्तान को अपना नया मुल्क बनाने का फैसला किया। लेकिन बंटवारा अपने साथ असीम दुख और हिंसा भी लेकर आया। औपचारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत से करीब 70 लाख लोग और पाकिस्तान से करीब उतने ही लोग अपने घर छोड़कर दूसरे देश आ गए थे। इसके बाद कई महीनों तक हिन्दू, मुसलमान और सिख आपस में झगड़ते रहे। नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंधक बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

महात्मा देश की इस हालत स बहुत ही निराश थे। उन्होंने तय किया कि वह 13 जनवरी को अनशन पर तब तक बैठे रहेंगे जब तक तीनों समुदायों के प्रतिनिधि उन्हें आश्वासन नहीं देते कि वह आगे से शांति बनाए रखेंगे। पांच दिन की भूख हड़ताल के बाद गांधी की शर्त मान ली गई और देश में शांति लाने का पूरा प्रयास किया गया।
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लेकिन कुछ कटरपंथी लोगों ने गांधी को भारत के विभाजन का जिम्मेदार ठहराया और राष्ट्र की सुरक्षा का हवाला देकर उनकी हत्या को सही ठहराने की कोशिश की। नथुराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में गांधी पर गोली चलाई। महात्मा के अंतिम शब्द, “हे राम, हे राम” थे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk