नई दिल्ली,
देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक माने जाने वाले 2जी घोटाले में आज कोर्ट का फैसला आया है। पटियाला कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस घोटाले को 1 लाख 76 हज़ार करोड़ रुपए का बताया गया था। कोर्ट के फैसले के बाद वकील ने बाहर आकर बताया कि कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है, दो पक्षों के बीच पैसों का लेन-देन होने का कोई सबूत नहीं है। वकील ने बताया कि जज ने सिर्फ एक ही लाइन में फैसला पढ़ा और कहा कि सभी आरोपियों को बरी किया जाता है। जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
क्या हुआ कोर्ट में
वकील के बयान के मुताबिक, सुबह 10.30 बजे कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई लेकिन भीड़ के कारण आरोपी कोर्ट में नहीं आ पाए थे। इसलिए कार्रवाई को थोड़ी देर के लिए टाल दिया गया था। इसके बाद 11 बजे कार्यवाही शुरू हुई, तभी जज ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं हैं, उन्हें बरी किया जाता है। टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुड़े मामलों पर विशेष रूप से विचार कर रही अदालत ने राजा, कनिमोझी और अन्य सहित सभी आरोपियों को फैसले के लिए गुरुवार उसके सामने हाजिर रहने का निर्देश दिया था। टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सुनवाई छह साल पहले 2011 में शुरू हुई थी जब अदालत ने 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये थे। जिन आरोपों में आरोप तय किये गये हैं। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
राज्यसभा में हंगामा
2 जी घोटाले पर फैसले के बाद राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी फैसले के बाद कहा कि बीजेपी और पीएम मोदी ने इस मुद्दे को लेकर गलत माहौल बनाया और अब उन्हें इस मुद्दे पर बात करनी बंद करनी चाहिए। ज़ोरदार हंगामे के बाद राज्यसभा को 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया है।
2 जी घोटाले में कब, क्या हुआ
16 मई 2007 को डीएमके नेता ए राजा को दूसरी बार दूरसंचार मंत्री नियुक्त किया गया था। 25 अक्तूबर 2007 को केंद्र सरकार ने मोबाइल सेवाओं के लिए टू-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की संभावनाओं को खारिज कर दिया था। सितम्बर-अक्तूबर 2008 में दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए। 15 नवंबर 2008 को केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में खामियां पाईं और दूरसंचार मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की। 21 अक्तूबर 2009 को सीबीआई ने टू-जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए मामला दर्ज किया। 22 अक्तूबर 2009 को मामले के सिलसिले में सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी की। 17 अक्तूबर 2010 को भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दूसरी पीढ़ी के मोबाइल फोन का लाइसेंस देने में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
नवंबर 2010 को दूरसंचार मंत्री ए राजा को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही ठप की। 14 नवम्बर 2010 को राजा ने इस्तीफा दे दिया। 15 नवम्बर 2010 को मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। नवम्बर 2010 को टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग को लेकर संसद में गतिरोध जारी रहा। 13 दिसम्बर 2010 को दूरसंचार विभाग ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज वी पाटिल समिति को स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों एवं नीतियों को देखने के लिए अधिसूचित किया। इसे दूरसंचार मंत्री को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया। 24 और 25 दिसम्बर 2010 को राजा से सीबीआई ने पूछताछ की। 31 जनवरी 2011 को राजा से सीबीआई ने तीसरी बार फिर पूछताछ की। एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। दो फरवरी 2011 को टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
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