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करनाल
नियुक्ति के बाद जॉब से निकाले जाने के विरोध में जेबीटी टीचर्स हुड्डा पार्क में आमरण अनशन पर बैठ गए है। इन 1259 टीचर्स का कहना है कि जब तक सरकार उन्हें वापिस नौकरी पर नहीं लेती वे अपना अनशन जारी रखेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें किसी भी प्रकार की कुर्बानी ही क्यों न देनी पड़े। रविवार के धरने से जबरन टीचर्स को हटाने के बाद सोमवार को फिर से टीचर्स आमरण अनशन पर बैठ गए है। लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से इनसे बातचीत करने के लिए नुमाइंदा नहीं आया है। इसे सरकार की हठधर्मिता ही कही जाए कि बच्चों को छोड़ सैंकड़ों महिलाएं सड़क पर बैठी है, लेकिन अभी तक सरकार ने इनसे बातचीत करना तक उचित नहीं समझा।
गौरतलब है कि सरकार ने मैरिट में नीचे स्थान पर रहने वाले जेबीटी टीचर्स के निलंबन के आदेश दे रखे है। आंदोनरत शिक्षकों का कहना है कि अंतिम कुमारी केस का ऑर्डर डबल बेंच का फाइनल ऑर्डर है और वो आज तक ख़ारिज नहीं हुआ मतलब वैध है तो 9455 को कैसे निकाला जा सकता है ?
जस्टिस सूर्यकांत वाली डबल बेंच का 8 मई का ऑर्डर एक अंतरिम ऑर्डर है और उसमें नियुक्त हो चुके जेबीटी को हटाने बारे कोई टिप्पणी या आदेश नहीं है। ये बात खुद हाईकोर्ट ने भी 8 जून के अपने 10 पेज के ऑर्डर में स्वीकार करते हुए वीरेंद्र की याचिका पर उसको हटाने पर रोक लगा दी। फिर शिक्षा विभाग ऑर्डर की बेमतलब की गलत व्याख्या निकाल करके इन नियुक्त ही चुके जेबीटी को निकालने पर क्यों आमादा है ?
शिक्षा विभाग खुद अपने 2 जून के पत्र/ऑर्डर में पर्सनल हियरिंग का मौका देने के निर्देश से क्यों भाग रहा है ? वजह क्या है ? बहुत से टीचर्स को डाक से भेजा हुआ शो कॉज नोटिस ही अभी तक नहीं मिला तो भला वो नोटिस का जवाब कैसे 9 तारीख तक देता ? उसको तो हो सकता है कि पता भी न हो कि उसे हटाने की प्रक्रिया चल रही है। नवनियुक्त जेबीटी शिक्षकों के नियुक्ति पत्र में बिंदु नम्बर 4 पर स्पष्ट लिखा है कि कर्मचारी को हटाने से पहले 1 महीने का शो कॉज नोटिस दिया जायेगा। फिर 5 दिन का टाइम किस धारा/कानून के तहत दिया गया ? अंतिम कुमारी केस का फैसला फाइनल फैसला है और 8 मई वाला ऑर्डर मात्र एक अंतरिम ऑर्डर है। फिर ऐसी क्या मजबूरी है कि विभाग के लिए एक अंतरिम ऑर्डर का महत्व दूसरे फाइनल फैसले (अंतिम कुमारी) से भी ज्यादा है। और विभाग फाइनल फैसले को मानने की बजाय एक अंतरिम ऑर्डर की पालना को जरूरी मान रहा है और हद से ज्यादा फुर्ती दिखा रहा है। ये सब समझ से परे है। विभाग को 8 जून का जस्टिस मसीह का 10 पेज का ऑर्डर पढ़ने के बाद शायद ये आभास हो गया हो कि अब सबको स्टे मिल जायेगा और जस्टिस मसीह की बेंच ने अपने ऑर्डर में दूसरी चयनसूचि के उम्मीदवारों की एलिजिबिलिटी को ले कर जो ऑब्जर्वेशन दी है या टिप्पणियॉ की है उससे दूसरी चयनसूचि के उम्मीदवारों की नियुक्ति में भविष्य में बाधा आ सकती है, इसलिए ये फुर्ती दिखाई गई हो। क्या ये किसी डीईईओ के लिए सम्भव है कि 9 जून को देर सांय तक मिले सभी टीचर्स के शो कॉज नोटिस को वो 1 दिन में पूरा पढ़ ले और उनके जवाब के आधार पर सबके अलग-अलग स्पीकिंग ऑर्डर भी पास कर दे ?
शिक्षकों की प्रमुख मांगे:
अंतिम कुमारी केस के फैसले के मद्देनजर 1259 जेबीटी को हटाने की कारवाई रोकी जाए। शिक्षा विभाग द्वारा 2 जून को जारी पत्र/ऑर्डर के अनुसार सभी शिक्षकों को पर्सनल हियरिंग (व्यक्तिगत सुनवाई) का मौका दिया जाए ताकि वो अपना पक्ष विस्तार से रख सके।बहुत से टीचर्स को डाक से भेजा हुआ शो कॉज नोटिस ही अभी तक नहीं मिला तो भला वो नोटिस का जवाब कैसे 9 तारीख तक देता ? इसलिए जवाब देने की समयसीमा कम से कम 15 दिन बढ़ाई जाए। इन शिक्षकों की बैठक मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री से कारवाई जाए।जीवन आधार न्यूज मोबाइल APP का डाउनलोड करने के लिए यहां पर क्लिक करे।
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